अने समजण पण जे न करे तेने वीतरागमार्ग क्यांथी हाथ आवे? अनंतकाळथी
पोतानी खोज पोते पोतामां न करतां परमां खोज करी करीने काळ गुमाव्यो. जाणे
बीजो मारुं कार्य करी देशे–एम परनी सामे जोया कर्युं. भाई! तारुं स्वकार्य करवानी
शक्ति तारामां ज छे. बीजा कोईना कारण वगर तुं पोते सम्यग्दर्शनथी मांडीने
सिद्धपद सुधीनी तारी दशानो कर्ता थईने परिणम–एवी स्वाधीनप्रभुता तारा
आत्मामां छे. तारी प्रभुता वडे तुं ज तारा कार्यनो कर्ता छो. आवी प्रभुता जाणे ते
पोतानी पर्यायमां बीजानुं कर्तृत्व माने नहि, ने पोते बीजानो कर्ता थवानुं माने
नहि; निर्मळ पर्यायना कर्तृत्वपणे ज तेनुं परिणमन थाय.
निर्मळभावोनुं कर्तृत्व धर्मीना आत्मामां छेे; वस्तुस्वरूपथी आत्मा पोते तेनो कर्ता
छे. अहो, वीतरागी मोक्षमार्गमां रागरहित चारित्रपर्याय कोई अलौकिक छे; क्यां
ए चारित्रपर्याय, ने क्यां विकल्प! देहनी नग्नदशा के विकल्पो ते कांई
वीतरागचारित्र– दशाना कर्ता नथी. छतां तेवी चारित्रदशा वखते बहारमां जो
निमित्तो होय तो तेवा ज होय, पण ते निमित्तोनुं कर्तृत्व धर्मीना आत्मामां नथी,
धर्मीना आत्मामां तो निर्मळभावनुं ज कर्तृत्व छे. ज्ञानना परिणमनमां जेटला
भावो समाय तेमनुं ज कर्तृत्व धर्मीने छे; ज्ञानथी बहारना कोई भावोनुं कर्तृत्व
धर्मीने नथी. हे भाई! जो तुं परभावोना कर्तृत्वमां अटकीश तो तेनाथी रहित
एवा निर्मळभावने क्यारे करीश? अरे, तुं चैतन्य, तारा चैतन्यकार्यने चूकीने
परनो ने विकारनो कर्ता थवा क्यां जाय छे? अंतर्मुख थईने तारा निर्मळ
ज्ञानभावनो कर्ता था...ने! निर्मळभावना स्वाधीन कर्तृत्वपणे तारो आत्मा शोभे
छे. तारा निर्मळभावनुं कर्तृत्व बीजा कोईमां नथी.