Atmadharma magazine - Ank 295
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : “आत्मधर्म” : वैशाख : र४९४
आवो आत्मा पोतामां आत्मस्वरूपनो केवो निश्चय करे छे–ते आ गाथामां
समजाव्युं छे. एटले सम्यग्दर्शन प्रगट करवा माटे पोते पोताना आत्मानो केवो निश्चय
करवो–तेनी परम हितकर वात सन्तोए समजावी छे. आवो आत्मनिर्णय करीने विकल्प
तोडीने अनुभव करे छे,–तेनो निर्णय पण अपूर्व छे.
प्रथम तो एम निर्णय करे छे के–हुं आ आत्मा प्रत्यक्ष स्वसंवेदनगम्य छुं.
आत्मा पोते पोताने प्रत्यक्ष थाय छे. बहारना साधनवडे के रागवडे आत्मा जणाय
नहि. अंतर्मुख उपयोगवडे पोते पोताने प्रत्यक्ष थाय छे.
आत्मा पोते पोताने स्वानुभव प्रत्यक्ष थाय छे एवी एनामां ताकात छे.
‘आत्मवैभव’ पुस्तकमां प्रकाश शक्तिना विवेचनमां तेनुं विस्तारथी वर्णन आव्युं छे.
प्रथम तो ‘हुं कोण छुं’ एनो साचो निर्णय करवानी आ वात छे. धर्मी थवुं
होय तेणे पहेलां ए नक्की करवुं जोईए के हुं कोण छुं? श्रीमद् राजचंद्र १६ वर्षनी वये
कहे छे के–
‘हुं कोण छुं? क्यांथी थयो? शुं स्वरूप छे मारुं खरूं?
हुं कोण छुं? आत्मानुं खरूं स्वरूप शुं छे? एनो निर्णय करवो ते भवने
छेदवानी ने सम्यग्दर्शन पामवानी क्रिया छे. सम्यग्दर्शननी तैयारी वाळो, स्वभावना
आंगणे आवेलो जीव केवो आत्मनिर्णय करे छे तेनी वात छे. प्रत्यक्ष ज्ञान वडे जणाउं
एवो अतीन्द्रिय ज्ञानमय आत्मा हुं छुं–आवो निश्चय करीने पोतामां उपयोग मुकतां
विकल्प छूटी जाय छे ने निर्विकल्प आनंद सहित सम्यग्दर्शन थाय छे.–आवी रीत
सर्वज्ञभगवाननी वाणीमां आवी छे.
अहो, आ निर्णयमां घणुं स्वलक्षनुं जोर छे. आ निर्णय बीजाना लक्षवडे नथी
कर्यो. हुं स्वसंवेदन प्रत्यक्ष छुं,–एटले रागवडे प्रत्यक्ष थाउं एवो हुं नहि, एम रागना–
विकल्पना अवलंबननी बुद्धि छूटी गई छे, ने आत्माना स्वभावसन्मुख बुद्धि वळी छे.
ते जीव उपयोगने स्वसन्मुख करी, विकल्परहित साक्षात् अनुभव करशे.–आ
सम्यग्दर्शननी रीत छे.
एक माणस करोडो अबजोनो वैभव पामीने पोताना महेलमां बेठो होय, ने
बीजो माणस बहार ऊभो ऊभो तेवा वैभवनो विचार करतो होय, तेम जे सम्यग्दर्शन
पाम्या ते तो आत्माना महेलमां बेठा–बेठा साक्षात् आनंदने अनुभवे छे, ने
सम्यकत्वनी सन्मुख जीव आत्माना स्वरूपनो विचार वडे निर्णय करे छे. आत्मानो
साचो निर्णय करवामां पण घणो पुरुषार्थ छे. भाई, जीवनमां आ खरूं करवा जेवुं छे.
आत्माना निर्णयमां ज जेनी भूल होय तेने अनुभव थाय नहीं.