तेनी मर्यादा छे, परमां तो कांई ते करी शकतो नथी. जीवाडवानी शुभ ईच्छा होवा छतां
सामो जीव मरी पण जाय छे, सुखी करवानी शुभईच्छा होवा छतां सामो जीव दुःखी
पण थाय छे; ए ज प्रमाणे सामाने मारवानी के
Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).
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