Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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जेठ : २४९४ : आत्मधर्म : १५ :
आपे, अथवा हुं बीजाने जीवाडुं–मारुं के सुख–दुःख आपुं–एवो जेने भ्रम छे ते जीव
निःशंकपणे मिथ्याद्रष्टि ज छे. जगतना जीवोनो मोटो भाग (जीवराशि) आवी
मिथ्याबुद्धिथी अज्ञानी छे. जे कोई जीव परमां कर्तृत्वनी आवी मिथ्याबुद्धि करे छे ते जीव
चोक्क्स मिथ्याद्रष्टि ज छे एम जाणवुं.
भाई! तुं तो ज्ञान छो. ज्ञानतत्त्व शुभाशुभ विकल्पनुंय कर्ता नथी त्यां परनुं
कर्तृत्व तारामां केवुं? तुं तारा ज्ञाननो ज मालिक छो, परनो मालिक तुं नथी. परवस्तुना
कार्यनी मालिक (कर्ता) ते वस्तु ज छे, तेने बदले तुं तेनो मालिक (कर्ता) थवा जाय छे
तो ते अन्याय छे, अज्ञान छे. तारा कार्यनो मालिक बीजो नथी ने बीजाना कार्यनो
मालिक तुं नथी. स्वाधीनपणे जगतना पदार्थो पोतपोतानुं कार्य करी रह्या छे.
आवा वस्तुस्वरूपने जे जाणता नथी ने मोहथी अन्य जीवने अन्य जीवद्वारा
सुख–दुःख, जीवन–मरण के बंध–मोक्ष थवानुं माने छे ते मिथ्यात्वरूप अशुद्धपणे
परिणम्या छे. बीजो जीव मने राग करावीने बांधे अगर बीजो जीव मने ज्ञान आपीने
तारे–एवी स्व–परमां कर्ताकर्मनी एकत्वबुद्धि ते मिथ्यात्व छे, ते मिथ्याद्रष्टि जीव तीव्र
मोहवडे पोताना चैतन्यप्राणने हणे छे, पोते पोताना आत्मजीवनने हणे छे, ते ज मोटी
भावहिंसा छे.
आ मारो मित्र, आ मारो शत्रु, आ मने सुख देनार, आ मने दुःख देनार,
अथवा हुं बीजानो मित्र, हुं बीजानो शत्रु, में बीजाने सुख दीधुं, में बीजाने दुःख
दीधुं–एवी मिथ्याबुद्धिथी अज्ञानी राग–द्वेषने ज करे छे, पर साथे कर्तृत्वबुद्धि होय
त्यां राग–द्वेषनुं कर्तृत्व छूटे ज नहि. राग–द्वेष–मोहरूप अशुद्धता वडे जीवना शुद्ध
चैतन्यप्राण हणाय छे–ते ज आत्महिंसा छे. आ रीते अज्ञानी पोते पोताना
आत्मानो घात करे छे तेथी आत्मघातक छे, ने आ आत्मघात ते महा पाप छे; तेमां
भावमरणनुं भयंकर दुःख छे.
अरे, मारो आत्मा तो ज्ञान छे. ज्ञानने कोई शत्रु नथी, कोई मित्र नथी; ज्ञान
सुखी–दुःखी बधाने जाणे छे पण ज्ञान कोईने सुख देतुं नथी, ज्ञान कोईने दुःख देतुं नथी,
बीजो कोई पदार्थ ज्ञानने दुःख देनार नथी, बीजो कोई पदार्थ ज्ञानने सुख देनार नथी.
ज्ञानस्वरूप ज हुं छुं, ज्ञानमां रागना शुभविकल्पनुंय कर्तव्य नथी–एम पोते पोताने
ज्ञानपणे अनुभवता ज्ञानी–धर्मात्मा, जगतना कोई पण परभावने जरापण पोताना
करता नथी; पोताथी भिन्न जाणीने तेना ज्ञाता ज रहे छे.