Atmadharma magazine - Ank 296
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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जेठ : २४९४ : आत्मधर्म : १९ :
जेम रस्ते चाल्या जता माणसोने के हाथी वगेरेने देखीने कोई गांडो घेलछाथी
एम माने के आ पदार्थो मारा छे, हुं तेमने चलावुं छुं; तेम स्वयं परिणमता जगतना
जड–चेतन पदार्थोने देखीने जे एम माने छे के आ पदार्थो मारा छे, हुं तेमनो कर्ता छुं, –
ते जीव मिथ्यात्वथी घेलो थयो छे. सत्–असत्नी भिन्नतानी जेने खबर नथी, स्व–परनी
भिन्नतानी जेने खबर नथी, ने बधाने एकबीजामां भेळवीने माने छे तेनुं बधुं जाणपणुं
उन्मत्तवत् छे–एम तत्त्वार्थसूत्रमां कह्युं छे.
परनुं हुं करुं ने पर मारुं करे एम माननार अज्ञानी जीव पोतामां पण आत्माने
पर्यायबुद्धिथी ज देखे छे एटले रागी–द्वेषी–अशुद्धपणे ज अनुभवे छे. परने बचाववानी
शुभवृत्ति थई त्यां ते शुभवृत्तिनो राग ए ज मारुं कर्तव्य छे एम राग– स्वरूपे ज
पोताने अनुभवे छे, पण रागथी पार चैतन्यकार्यने जाणतो नथी. आवुं अज्ञान ज्यां
सुधी न मटे त्यां सुधी ज्ञान के आचरण कांई साचुं होतुं नथी. कोई एम माने के हुं
बीजाने तारी दउं, हुं बीजाने मुक्त करी दउं–तो कहे छे के हे भाई! तुं पोते ज
मिथ्यात्वना बंधनमां पडेलो छो. जेम जगतना कर्ता कोई ईश्वर नथी, तेम आत्मा पण
जगतना कोई पदार्थोनो कर्ता नथी. सम्यग्द्रष्टि पोताना आत्माने ज्ञानस्वरूप अनुभवे
छे, तेमां रागना एक अंशनुंय अस्तित्व नथी, त्यां परवस्तुनी शी वात?
आकाशना फूलने चूंटवानी चेष्टा कोई करे तो ते निरर्थक छे, केमके तेनो अभाव
ज छे; तेम पर वस्तुनो आत्मामां अभाव छे, छतां तेनुं कार्य करवानी चेष्टा
(अभिप्राय) कोई करे तो ते निरर्थक छे एटले मिथ्या छे. आवुं मिथ्यात्व होय त्यां
साधुपणानुं आचरण होतुं नथी ने सम्यकत्व पण होतुं नथी. चैतन्यना भान वडे जेणे
आवुं मिथ्यात्व टाळीने सम्यकत्व प्रगट कर्युं छे तेनुं ज ज्ञान साचुं ने तेनुं ज आचरण
साचुं. आवुं साचुं ज्ञान प्रगटे त्यारे भावमरण टळे ने साचुं जीवन एटले के अतीन्द्रिय–
आनंददशा प्रगटे.
मुनिदशा तो महापूज्य परमेष्ठीपद छे; ते मुनिदशा सम्यग्दर्शन वगर होती नथी.
परने हुं मारुं, परने हुं जीवाडुं, पर मने मारे के जीवाडे–एवो मिथ्या अध्यवसाय
मुनिओने स्वप्नेय होतो नथी. हजी तो ज्यां परना कर्तृत्वनी मिथ्याबुद्धि छे, ज्यां
रागथी धर्म थवानी मिथ्याबुद्धि छे, त्यां सम्यकत्व पण नथी, तो मुनिदशा केवी? त्यां
ज्ञान के चारित्र कांई साचुं नथी.