लखाणनो संयुक्त सार अहीं आप्यो छे. प्रथम कक्षाना पांच लेखोमां आ लेखने स्थान
मळे छे. आ उपरांत तेमणे कोयडा, धार्मिक कक्को, अने आंक पण लखी मोकल्या छे.
मायाबेने तो भावभीना चित्रो पण मोकल्या छे–जेमां जैनध्वज; मुनिराजने वंदना;
मानस्थंभ; सम्यकत्वरूपी बीज अने केवळज्ञानरूपी पूर्णचंद्र शुद्धात्मारूपी सोय ने
सम्यग्दर्शनरूपी दोरो; चैतन्यसूर्य, तथा रंगोळी छे. भाई–बेनोने उत्साह बदल
धन्यवाद!)
माटे अमे बीजा शास्त्रो पण वांचवा लाग्या. धर्ममां रस लेता थया. अमारा विचारो
बदलाई गया. अमने फरवानो, खावानो, पीकचर जोवानो अने प्रवासे जवानो शोख
हतो तेने बदले हवे अमने दररोज जिनमंदिरे जवानो, प्रवचन सुणवानो अने शास्त्र
वांचवानो शोख थाय छे. जिनमंदिरमां मुनि भगवंतोना, वैरागी राजकुमारोना तेमज
सती धर्मात्माओनां वैराग्यवंत चित्रो जोईने अमने घणो आनंद थाय छे. मंदिरमां
आवा अनेक चित्रो छे अने प्रवासने बदले हवे अमने गुरुदेवनी साथे साथे वारंवार
जात्रा करवानो भाव जागे छे.
नाश पाम्या ने धर्मना उत्तम संस्कारो आव्या. साधर्मी भाई–बेनोने कुटुंबीजनो जेवा
ज मानवा लाग्या, बालविभागना बधा सभ्यो अमने अमारा भाईबेन जेवा ज लागे
छे. बालविभागने लीधे तो जाणे अमने सर्वांगीय केळवणी मळती होय एवुं लागे छे.
बालविभागने लीधे अमारी बुद्धिनो विकास थयो. अमारा ज्ञानमां वधारो थयो,
वांचवानी टेव पडी, अने धर्ममां रसपूर्वक भाग लेता थया. सुख अमारा आत्मामां छे
तेनी अमने खबर पडी. धर्म कोने कहेवो? केवी रीते थाय? कयां थाय? तेनी अमने
खबर नहोती ते हवे बालविभागने लीधे खबर पडी. अने धर्म करवाथी केवुं सुख