खरूं स्वरूप समजाय छे. बंधनुं कारण शुं छे ने मोक्षनुं
कारण शुं छे–तेनी ओळखाणमां जीवनी भूल छे, तेथी
बंधथी छूटवानो ने मोक्षने साधवानो साचो उपाय पण
ते करतो नथी. ज्ञानी पोतानी केवी परिणति वडे मोक्षने
साधी रह्या छे ने अज्ञानी केवी परिणतिने कारणे
बंधाय छे–ते अहीं समजाव्युं छे. ते समजीने बंधना
शुद्धपरिणति प्रगट करवी–ते मोक्षार्थीनुं प्रयोजन छे.
आत्मा ज्ञानानंदस्वरूप शुद्धवस्तु छे; तेमां उपयोगनी एकतावडे जे
एवा धर्मात्माने बंधन थतुं नथी. बंधनुं कारण बाह्य सामग्री नथी, पण उपयोगनी
अशुद्धता एटले के रागादि साथे एकता ते ज बंधनुं कारण छे.
कारण छे. ज्ञानी रागथी भिन्न उपयोगने शुद्धपणे अनुभवे छे ते धर्म छे ने ते मोक्षनुं
कारण छे.