Atmadharma magazine - Ank 297
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : २४९४ : आत्मधर्म : ९ :
मोक्षमार्ग बतावीने संतोए न्याल कर्या छे ने भवभ्रमणथी छोडाव्या छे. आवो
मोक्षमार्ग जाणीने अंदरमां तेनो उद्यम करवा जेवुं छे. आवो मोक्षमार्ग सांभळवा मळवो
ते पण महा भाग्ये मळे छे, ने अंदर तेनो निश्चय करे ते तो न्याल थई जाय एवुं छे.
स्वाश्रये जेटली निर्मळता थई तेटलो ज मोक्षमार्ग छे; ने जेटलो पराश्रयरूप
अशुद्धभाव रहे तेटलुं बंधन छे. –आम जाणीने स्वाश्रयभावमां ठर्यो त्यां तेमां
व्यवहारनो आश्रय छूटी ज गयो छे. स्वाश्रयभाव ने पराश्रयभाव बंनेने एकता कदी
थती नथी, बंने भिन्न ज छे. आवी भिन्नतानुं भान थवुं तेमां मोक्षमार्गनी शरूआत
छे. वारंवार भावना घूंटीने आ भावो अंतरमां द्रढ करवा जेवा छे, आत्मामां एना
संस्कार पडतां अपूर्व कल्याण थाय छे. ने मोक्षमार्ग सधाय छे.
आ रीते शुद्धात्माना स्वाश्रये मोक्षमार्ग साधवानी विधि वीतरागमार्गमां
सन्तोए प्रसिद्ध करी छे. आ विधिथी निश्चयना अवलंबने मोक्षमार्ग साधवो ते मुमुक्षुनुं
कर्तव्य छे.
जयवंत हो स्वाश्रित मोक्षमार्ग....अने मार्गसाधक वीतरागमार्गी सन्तो।
सोनगढमां श्रावण – भादरवो
सोनगढमां दशलक्षणीपर्युषणपर्व भादरवा सुद चोथ ने मंगळवार
ता.२७–८–६८ थी शरू थशे, अने भादरवा सुद १४ ने गुरुवार ता.प–९–६८ ना रोज
पूरा थशे. (वच्चे एक तिथि घटती होवाथी दसलक्षणीपर्वनो प्रारंभ एक दिवस वहेलो
थाय छे.)
दर वर्षनी माफक धार्मिक प्रवचनना खास दिवसो श्रावण वद १२ ने
बुधवार ता.२१–८–६८ थी शरू थशे.
सोनगढमां दर वर्षनी माफक आ श्रावण मासमां श्रावण सुद पांचमने
मंगळवार ता.३०–७–६८ थी खास प्रौढ वयना भाईओ माटेनो जैन शिक्षणवर्ग शरू
थशे अने श्रावण वद ९ रविवार ता.१८–८–६८ सुधी चालशे. उत्तम श्रेणीमां जैन
सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाळा अने जैन तत्त्वमीमांसा चालशे, तो ते पुस्तको जेमनी पासे होय
तेमणे साथे लाववा. (आ शिक्षणवर्ग मात्र मोटी उंमरना भाईओ माटे छे. अने
वर्गमां मात्र भाईओ ज बेसे छे, बहेनो माटे आ वर्ग नथी.)