Atmadharma magazine - Ank 297
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : २४९४ : आत्मधर्म : २१ :
(३) मृग (४) मर्कट (प) सूर्य (६) चंद्र (७) सिंह (८) गज (९) सूर्य
(१०) चंद्र (११) शंख (१२) वृषभ (१३) पद्म (१४) चंद्र (१प) सूर्य
(१६) वृषभ (१७) हरण (१८) चंद्र (१९) स्वस्तिक (२०) पद्म.
(जुओ, जिनेन्द्रस्तवनमंजरी पानुं : ८६ थी ९३ त्रीजी आवृत्ति)
(आ लक्षणोमां एटली विशेषता छे के चंद्र लक्षण चार भगवंतोनुं छे,
ए ज रीते सूर्य त्रण भगवंतोनुं लक्षण छे, वृषभ पण त्रण भगवंतोनुं लांछन
छे; पद्म अने हाथी ए बे भगवंतोनुं लक्षण छे. आमां १७मा भगवाननुं चिह्न
स्पष्ट नथी समजातुं पण लगभग हरण होय तेवुं लागे छे; एटले ते पण बे
भगवंतोनुं चिह्न थयुं. –आम एकंदर मात्र दश प्रकारनां चिह्नोमां वीसे
भगवंतोनुं लांछन आवी जाय छे.)
प्रश्न:– (३) राग–द्वेष जीवनी पर्याय छे के पुद्गलनी?
उत्तर:– जीवनी.
B.Sc. उपरांत LL.B. नो अभ्यास करतां एक नवा सभ्य आंबानुं झाड
(सभ्य– पत्रकमां) देखीने आनंदथी लखे छे के–कार्ड जोईने घणो आनंद थयो;
कारण आ वर्षे आंबा तो मोंघा हता परंतु बालविभागनुं आंबानुं झाड घरे
बेठा आव्युं; अने ते आंबा (सम्यग्दर्शनादि) बारे मास फळे ने बारे मास
खवाय, तेमां सीझन जोवानुं रहेतुं नथी. आवा आंबा खावा माटे जरूर
पुरुषार्थ करशुं.
प्रफूल्ल जैन, मुंबई.
आत्मानी ऊर्ध्वता
अद्भुत ज्ञानवैभववाळो आत्मा त्रिलोकनो सार छे, बधा पदार्थोमां
आत्मानी ऊर्ध्वता छे, केमके आत्मा न होय तो जगतने जाणे कोण? जगत
छे–एम तेना अस्तित्वनो निर्णय आत्माना अस्तित्वमां ज थाय छे.
जगतनो जाणनार एवो जे ज्ञानस्वरूप आत्मा, तेना अस्तित्वना स्वीकार
वगर जगतना कोई पदार्थना अस्तित्वनो निर्णय थई शके नहीं. माटे बधा
पदार्थोमां आत्मानी ऊर्ध्वता छे.