: अषाड : २४९४ : आत्मधर्म : २५ :
उत्साहथी बालविभागमां हंमेश रस ल्ये छे, तेमणे धार्मिक कक्को लखी मोकल्यो छे;
जेमांना केटलाक वाक्यो आ अंकना कक्कामां आवेल छे.
• लाठीथी भरतकुमार जैन No ६४०) एक कोयडा साथे नीचे मुजब सुवाक्यो लखी
मोकले छे –
C
मंधरTर्थंकर Vदेहमां Bराजे छे.
अरिहंतPता ने Gनवाणी मातानो जय हो. कानGस्वामीनी Oगण ACमी जन्मजयंT
V
छीयामां थE.
भगवानने गोतो
चार अक्षरनुं नाम छे, ते एक भगवान छे;
पहेला अने चोथा अक्षरमां जंगल छे. त्रीजा अने चोथा अक्षरमां मोटाई छे. त्रीजो
चोथो ने पहेलो अक्षर तेमां मनुष्य छे. चोथाने पहेला अक्षरमां नवनिधान छे.
– शोधी काढो ए तीर्थंकरदेवने. (कोयडो मोकलनार भरतकुमार जैन लाठी)
• शैलेशकुमार धीरजलाल जैन नं ४प२ लाठी : तेमणे धर्मनो कक्को तथा १ थी १००
सुधीना आंकनी रचना लखी मोकली छे. केटलाक अंकोनी वाक्यरचना अने भावना बंने
सुंदर छे.
• खेडब्रह्माथी स. नं. ४९ लखे छे के–
‘‘बालविभागना सभ्य थवाथी अमे रात्रे खावानुं बंध कर्युं, सीनेमा जोवानुं
पण छोडी दीधुं, अने धर्ममां घणुं जाणवानुं मळ्युं. प्रश्नो अने जवाबो वांचवाथी अमने
घणो आनंद थाय छे. अमारा बीजा मित्रोने पण सभ्य बनाववानुं मन थाय छे. अमने
भेट मळती चोपडी (दर्शनकथा भगवान ऋषभदेव, भगवान महावीर वगेरे) वांचीने
आनंद थाय छे. मने धर्मना चित्रोनो शोख छे; अमे आत्मधर्म वांचीए छीए. ने
भगवाननी भक्ति करीए छीए. परीक्षा होवाथी विशेष लखी शकता नथी. –जयजिनेन्द्र
मुंबईथी देवजीभाई एच. जैन धार्मिक कक्को, १ थी २० सुधीना आंकनी रचना
केटलाक दोहरा तथा आध्यात्मिक चित्रो मोकल्या छे. चित्रो द्वारा भेदज्ञाननी भावना रजु
करी छे ने एक बाळक पोताना चैतन्यस्वभावनुं ध्यान करे छे–ते देखाड्युं छे. कक्को अने
आंकनी रचना पण सुंदर छे. तेमांथी योग्य लागशे ते पसंद करीने उपयोग करीशुं. थोडोक
नमूनो–(राग चोपाई जेवो)
कक्का केवळ ज्ञानस्वरूप; खखा खरो तुं आतमरूप.
गगा तुं ज्ञाननो भंडार; घघा घटघटनो जाणनार.
• भाईश्री धीरजलाल जैन–जेओ सोनगढमां केटलोक वखत रही गया छे ने हाल
उगामेडीमां स्कुलना हेडमास्तर छे, तेमणे काव्यशैलिमां ‘‘सुप्रभात’’ लखी मोकल्युं छे,
७९मा जन्मोत्सव प्रसंगे लखायेल ७९ पंक्तिना आ काव्यमां उमराळामां गुरुदेवना
जन्मोत्सव प्रसंगना सुप्रभातनुं तथा गुरुमहिमानुं अलंकारिक वर्णन छे.
• अमदावादथी अजयकुमारजी (नं.८१) ए धार्मिक कक्को तेमज आंक लखी मोकलेल