Atmadharma magazine - Ank 297
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 29 of 45

background image
: २६ : आत्मधर्म : अषाड : २४९४ :
छे. मुंबईथी राजेश एन. जैन (नं.२९६) पण धार्मिक कक्को लखी मोकले छे.
अशोककुमार मणिलाल जैन (नं.७१७ तेमणे धार्मिक कक्को लखी मोकलेल छे, तेनी रचना
सुंदर भाववाळी छे.
भरतकुमार तथा दीपककुमार वसंतराय जैन (नं. १३४०–१३४१) बंने भाईओए १
थी १० सुधीना आंकद्वारा ऋषभदेव प्रभुनी स्तुति (ऋषभदेव भगवानना
पुस्तकमांथी), तथा विस्तृत धार्मिक कक्को लखी मोकल्या छे, तेमां दोहन सारूं कर्युं छे.
उपरांत बाहुबली भगवाननुं मोटुं चित्र पेन्सीलथी दोरीने तेमणे मोकल्युं छे. नानकडा
हाथे चीतरायेला मोटा भगवानने देखीने आनंद थयो. आ चित्रने कारणे तेओ
उत्तमकक्षाना ईनाममां स्थान मेळवे छे. साथेना पत्रमां तेओ लखे छे के– ‘‘आवी
प्रवृत्तिथी अमने खास उत्साह मले छे, तो हर वेकेशनमां आवी रीते अमारा
बालमित्रोनो टाईम आवी धर्मप्रवृत्तिमां रोकाय एवी योजना करवा खास आग्रहभरी
विनति छे. जेथी अमने धर्म प्रत्ये प्रोत्साहन मळे ने अशुभ भावथी निवृत्त थवाय.’’
अंकलेश्वरथी स. नं.११४२ नयनाबेन जैने भावभीना त्रण चित्रो मोकल्यां छे–जेमां
(१) कुंदकुंदप्रभु ध्यान धरे छे, (२) विदेहमां सीमंधरभगवान पासे जाय छे ने (३)
पोन्नूर उपर समयसार लखे छे–ए द्रश्यो छे. तेमने चित्रोना सुंदर भावो बदल
उत्तमकक्षाना १प लेखोमां स्थान मळे छे.
निखीलकुमार प्रतापराय जैन (नं. ९६१) कलकत्ता : तेमने कलकत्ता जेवा दूर शहेरमां
गुजराती भाषानो ओछो परिचय छतां भांगीतूटी शैलिमां धार्मिक कक्को ने आंक लखी
मोकल्या छे. साथे लखे छे के– ‘‘बालविभागमां उत्साहथी भाग लउं छुं; दर्शनकथा वगेरे
भेटपुस्तको घणा रसपूर्वक वांच्या, ने खूब जाणवानुं मळ्‌युं. मारा जन्मदिवसे मने पिताश्री
तरफथी भेटमां मळेला रूा.११ हुं बालविभागने भेट मोकलुं छुं. अहीं रजाने दिवसे हुं
जिनमंदिरे दर्शन करवा जउं छुं; हंमेशा मोरनींगस्कुल होवाथी अने अमारा घरथी
जिनमंदिर घणुं दूर पडतुं होवाथी रोज जई शकता नथी, पण घरे भगवानना फोटा छे
तेना दर्शन तथा स्तुति करीए छीए. बालविभागथी अमने बहु आनंद आवे छे.
मुंबईथी भरतकुमार चंदुलाल जैन (नं.१७३प) तेमणे सोनगढना सीमंधर
भगवाननुं मजानुं चित्र पेन्सीलथी करी मोकल्युं छे. आत्मधर्ममां आवी गयेला १९
कोयडानी साथे धार्मिक आंक ने भांग्यो–तूट्यो कक्को लखी मोकलेल छे.
बोरीवलीथी राजुबेन जैन (नं.११३८) धार्मिक कक्को लखी मोकल्यो छे. तथा
हंसाबेन जैन (नं.११३प) जेओ कोलेजमां अभ्यास करे छे, तेओ ‘बालविभागथी मने
लाभ’ ए विषयमां लखे छे के–
‘‘बालविभाग फक्त नाना बाळको माटे नथी पण कोलेजीयनो पण तेमां भाग
लई शके छे–ए जाणीने मने खूब आनंद थयो; कारण के फक्त बाळकोमां ज
धार्मिकसंस्कार