Atmadharma magazine - Ank 297
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : २४९४ : आत्मधर्म : २७ :
रेडवाना नथी पण ते द्वारा बधाने शुद्ध अध्यात्मज्ञान मळे –ए हेतु छे.
बालविभागद्वारा जुदा जुदा गाममां ने देशमां रहेला जिनसंतानोनी (–आपणा
साधर्मी भाई–बेनोनी) ओळखाण थाय छे, ते उपरांत सवाल–जवाब द्वारा अनेक न
समजाता रहस्योनो उकेल मळे छे, तेथी जुनी अने खोटी मान्यताओ दूर थाय छे, ने
साचा धर्मनो महिमा समजाय छे. देव–गुरु–शास्त्र प्रत्ये परम भक्ति जागे छे. तथा
बालविभागमां आवती सारी सारी शिखामण (जेवी के हंमेशां भगवानना दर्शन करवा,
रात्रिभोजन छोडवुं वगेरे) अमारा जीवनमां सारा संस्कार पाडे छे. आ रीते नानपणथी
धर्मना सारा संस्कार रेडाता होवाथी आगळ जतां खूब लाभकारी थशे–ए चोक्कस छे.
आ रीते बाल विभागथी अमने महान लाभ छे. तेथी ज, ‘बालविभाग’ शरू थया पछी
आखुं ‘आत्मधर्म’ होंशथी वांचीए छीए.’’
जयजिनेन्द्र
पारुलबेन वसंतलाल जैन नं.१२प१ –तेमणे धार्मिक कक्को तथा १ थी १०० सुधीना
आंक मोकल्या छे; रचना भाववाळी छे. साथे एक सरस मजानुं चित्र मोकल्युं छे. जेमां
घनघोर काळा वादळने भेदीने सोनेरी कहानसूर्य ऊगी रह्यो छे ते द्रश्य छे, चित्रनो
परिचय आपतां तेमणे लख्युं छे के– ‘‘अहो, काळा घनघोर वादळारूपी संसारमां, ज्ञान–
ज्योते झळहळता गुरुदेवरूपी सोनेरी सूरज अमने दर्शन दे छे. शुं अद्भुत छे आ द्रश्य!
ओहो, अमारा धनभाग्य के आवा ज्ञानीपुरुषना अमने दर्शन थया.’’ (आ चित्रने
लीधे उत्तमकक्षाना लेखोमां पारुलबेन स्थान मेळवे छे.)
अमदावादथी प्रवीणकुमार सी. जैन (नं. ४४प) तथा वडोदराथी मुकेश अमृतलाल जैन
(
No.
१७६प) अने वांकानेरथी सतीशकुमार वृजलाल जैन (नं.१२३) तेमणे दरेके
धार्मिक कक्को (अधूरो) मोकल्यो छे.
सुधीर रतिलाल जैन (No. २८७) अधूरो धार्मिक कक्को, आंक तेमज गुरुदेवनुं चित्र
मोकल्युं छे. गुरुदेव प्रवचन आपी रह्या छे ते भाव चित्रमां उपसाव्या छे.
मद्रासथी स. नं. ७२० हसमुख जे. जैने महेनतपूर्वक चित्र तैयार करीने मोकल्युं छे–तेमां
ए भाव दर्शाव्या छे के पं. टोडरमल्लजी जयपुरमां २०० वर्ष पहेलां अध्यात्मचिठ्ठी लखी
रह्या छे, अने ते चिठ्ठि मळतां मुलतानना साधर्मीओ आनंदित थाय छे; ते चिठ्ठि उपर
पू. गुरुदेव सोनगढमां प्रवचन आपी रह्या छे. उत्तम कक्षाना पंदर नंबरमां तेओनुं आ
चित्र पण स्थान मेळवे छे.
खेडब्रह्माथी गुणवंतलाल अमृतलाल जैन (No..२९) महावीर भगवाननुं
सुंदर चित्र चीतरीने मोकल्युं छे.
(कोई नानकडा सभ्ये बाहुबली भगवान अने कुंदकुंदाचार्यदेव ए बंनेना चित्रो
(आंकेला कागळमां, पेन्सीलथी दोरेला) मोकल्या छे. चित्रमां नाम–ठाम के गाम कांई
लखेल नथी. जे सभ्ये ए चित्रो मोकल्या होय ते पोतानुं नाम जणावशे तो तेने
पुस्तकोनी भेट मोकलवामां आवशे.)