Atmadharma magazine - Ank 298
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : र४९४ आत्मधर्म : १५ :
अवलकन
वैशाख मासनी ईनामीयोजनामां कोणे
लख्युं ने शुं लख्युं–तेना अवलोकननो
बाकीनो भाग अहीं आपीए छीए.
(गतांकथी चालु)
गोंडलना अरविंद जे. जैन (नं.२४६) तथा
मोरबीना भरतकुमार एच.जैन (नं.४०)
तेमणे धार्मिक कक्को मोकल्यो हतो. तेओ
बालविभागमां नियमित भाग लेनार उत्साही
सभ्यो छे.
लाठीना सभ्य नं.२१ भूपतकुमार सी.
जैने ‘‘बालविभागथी अमने लाभ’’ ए विषे
लख्युं छे; तेमज जन्मजयंति संबंधमां लख्युं छे
के– ‘‘गुरुदेवनी जन्मजयंतीना महोत्सव अनेक
भव्य आत्माओने माटे पावनकारी अवसर छे.
तेमना जीवननो झुकाव पहेलेथी ज आत्मशोध
तरफ छे. आत्मार्थ माटेनो पुरुषार्थ ए एमनो
जीवनमंत्र छे. आ जीवन छे ते आत्मार्थ
साधवा माटे ज छे–एम गुरुदेव समजावे छे.
आवा गुरुदेव आपणा जेवा बाळकोने माटे
हीरा समान छे. हिन्दुस्तानना आ हीरलाने
भारतना बाळको श्रद्धापूर्वक अभिनंदे छे.’’
(अभिनंदनग्रंथमां जोई जोईने तेमणे आ
लख्युं छे. भले, जोईने लखवा माटे पण तेमणे
ए पुस्तक वांच्युं तो खरूंने?)
जोरावरनगरथी वसंतलाल रतिलाल जैन
(नं.१९७प) तेमणे एकथी सो सुधी आंक
मोकल्या छे–पण वच्चे घणा आंकडा भूली गया छे.
कनकबाळा रतिलाल (नं.१प७४)
तेमणे धार्मिक कक्को तथा ‘‘बालविभागथी
अमने लाभ’’ ए विषे सुंदर निबंध पण
लखेल छे.
नयनाबेन हीरालाल जैन (स.नं.
१प९३) मुंबई–तेमणे धार्मिक कक्को मोकल्यो
छे; कक्को सुंदर भाववाही छे. उत्तमकोटिना १प
लेखोमां तेमने स्थान मळेल छे.
माळीयाना सतीशकुमार तथा
उपेन्द्रकुमार (नं.७३३, ७३प) तेमणे एकथी
दशना अंकद्वारा सुंदर भावना भावी छे, तथा
धर्मनो कक्को पण मोकल्यो छे. एकथी दशना
आंकमां तेओ लखे छे के–
(१) जैनधर्मनी ल्यो टेक
(२) ज्ञाननी उगाडो बीज,
(३) रत्नत्रयने भावो झट.
(४) अनंतचतुष्टय धार.
(प) पंचमगति प्राप्त कर.
(६) छ लेश्याथी दूर था.
(७) सात तत्त्वने समज.
(८) आठ कर्मनो कर नाश.
(९) नव देवने भज.
(१०) दशधर्मने आराध.
आ रीते आंकडाना मेळ साथे
भावनानो सारो मेळ कर्यो छे.
जामनगरथी हसमुख जैने (नं.६६प)
चार गीत उतारीने लखी मोकल्या छे.