लख्युं ने शुं लख्युं–तेना अवलोकननो
मोरबीना भरतकुमार एच.जैन (नं.४०)
तेमणे धार्मिक कक्को मोकल्यो हतो. तेओ
बालविभागमां नियमित भाग लेनार उत्साही
सभ्यो छे.
लख्युं छे; तेमज जन्मजयंति संबंधमां लख्युं छे
के– ‘‘गुरुदेवनी जन्मजयंतीना महोत्सव अनेक
भव्य आत्माओने माटे पावनकारी अवसर छे.
तेमना जीवननो झुकाव पहेलेथी ज आत्मशोध
तरफ छे. आत्मार्थ माटेनो पुरुषार्थ ए एमनो
जीवनमंत्र छे. आ जीवन छे ते आत्मार्थ
साधवा माटे ज छे–एम गुरुदेव समजावे छे.
आवा गुरुदेव आपणा जेवा बाळकोने माटे
हीरा समान छे. हिन्दुस्तानना आ हीरलाने
भारतना बाळको श्रद्धापूर्वक अभिनंदे छे.’’
(अभिनंदनग्रंथमां जोई जोईने तेमणे आ
लख्युं छे. भले, जोईने लखवा माटे पण तेमणे
ए पुस्तक वांच्युं तो खरूंने?)
मोकल्या छे–पण वच्चे घणा आंकडा भूली गया छे.
लखेल छे.
छे; कक्को सुंदर भाववाही छे. उत्तमकोटिना १प
लेखोमां तेमने स्थान मळेल छे.
माळीयाना सतीशकुमार तथा
उपेन्द्रकुमार (नं.७३३, ७३प) तेमणे एकथी
दशना अंकद्वारा सुंदर भावना भावी छे, तथा
धर्मनो कक्को पण मोकल्यो छे. एकथी दशना
आंकमां तेओ लखे छे के–
(१) जैनधर्मनी ल्यो टेक
(२) ज्ञाननी उगाडो बीज,
(३) रत्नत्रयने भावो झट.
(४) अनंतचतुष्टय धार.
(प) पंचमगति प्राप्त कर.
(६) छ लेश्याथी दूर था.
(७) सात तत्त्वने समज.
(८) आठ कर्मनो कर नाश.
(९) नव देवने भज.
(१०) दशधर्मने आराध.