: श्रावण : र४९४ आत्मधर्म : २९ :
आजे कदाच आ लाखो माईलनी विशाळ
पृथ्वीनो फोटो कोई पाडे तो शुं तेमां तमारा
शाहपुरनुं के अमारा सोनगढनुं मंदिर के
माणसो देखाशे खरा? ऊंचा ऊंचा गीरनार
ने हिमालय जेवा पहाडो पण जेमां नथी
देखाता, ने कदाच देखाय तो मात्र नाना
धाबां जेवुं देखाय छे, तेमां मंदिरो के माणसो
तो कयांथी देखाय? ए प्रमाणे चंद्रलोकना
फोटानुं समजी लेवुं.
आजनुं विज्ञान केटलुं अधूरुं छे तेने
माटे आ एक ज प्रत्यक्ष साबिती बस थशे
के–ज्यां सीमंधरनाथ आदि तीर्थंकरभगवंतो
अत्यारे पण साक्षात् बिराजे छे, ने चालु
सैकामां ज एमने नजरे जोयेला महात्माओ
नजरसमक्ष मोजुद देखाय छे–आवा
विदेहक्षेत्रना अस्तित्वनी आधुनिक
सायन्सने के भूगोळने खबर पण नथी के जे
विदेहक्षेत्र आ पृथ्वी उपर ज जंबुद्वीपमां
आवेलुं छे. माटे भाईश्री, आत्महितने
लगती धार्मिक बाबतोमां आधुनिक
सायन्सनुं अवलंबन उपयोगमां आवे तेवुं नथी.
लाठीथी शैलेषकुमार जैन लखे छे के–
बालविभागमां भेट मळेल ईन्डीपेन स्कुले लई
जउं छुं ने बधा विद्यार्थीओ पूछे छे त्यारे कहुं छुं
के अमारा सोनगढ तीर्थधाममांथी मने ईनाम
आव्युं छे. –आम रोज तीर्थधामनुं नाम लेवाय
छे.
अश्विन एम. जैन मोरबीथी भांगतूटी
भाषामां लखे छे–मने आत्मधर्म बहु गमे छे.
कानगुरु जेवा शूरवीर सिंह क्यांय नथी.
(दोहरो)
सूतां बेसतां उठतां, भणतां ने वळी रमतां,
–विसार्युं विसरे नहि, आत्मधर्मनुं नाम.
– विसार्युं विसरे नहि, देवगुरुनुं नाम.
(नाना बाळको! तमने जेवुं आवडे तेवुं
धर्मनुं थोडुंघणुं लखवानी टेव राखशो, तो तमने
उत्साह आवशे. तमारा नानकडा हाथे घणी
महेनते लखायेलुं भाग्युंतूट्युं लखाण पण अमने
बहु गमशे. –माटे खुशीथी लखजो.)
भाई–बहेन
शुद्धपयोग ते मोक्षार्थी जीवनो भाई छे. केमके ते शुद्धोपयोग मोक्षमां जवा माटे भाई
समान सहायक छे. अने निर्मळ सम्यक्द्रष्टिरूप परिणति ते भद्रस्वभाववाळी बहेन छे–के
जे मोक्षार्थी आत्मा उपर उपकार करे छे.
सम्यक्द्रष्टिरूप परिणति ते आत्मानी मुख्य अने चोक्क्स उपकार करनारी बहेन छे.
ते निर्मळ आत्मद्रष्टिरूपी भगिनी सर्व भयनो नाश करीने आनंद देनारी छे.
(जुओ–अष्टप्रवचन: पृ. ११७)