करीने भलामण करे छे के वीतरागविज्ञाननो आ उपदेश तमे ध्यानपूर्वक सांभळो; दुःखथी छूटवा
ने मोक्षसुख पामवा माटेनो आ उपदेश उपयोग लगावीने तमे सांभळो. तेनाथी जरूर तमारुं
हित थशे. बीजेथी उपयोग हठावीने आ तमारा हितनी वात प्रेमथी–उत्साहथी सांभळो.
श्री
उपदेश नथी देता, पण जे समजवानी धगशवाळा छे एवा शिष्योने कहे छे के तमे सांभळो. जेम
पाणी जोईए तो ते माटे घरना गाय वगेरे पशुने ते नथी कहेता के पाणी आप; केमके तेनामां
तेवी शक्ति नथी. पण समजदार आठ वर्षना बाळकने पाणी लाववानुं कहेतां ते समजी जाय छे;
तेम आत्मानुं स्वरूप समजवानी जेनामां ताकात छे, जेनामां तेवी जिज्ञासा जागी छे एवा
जीवोने सन्तो तेनी वात संभळावे छे ने कहे छे के सुण! एटले के अमे जे भाव कहीए छीए ते
तुं लक्षमां ले. भाव समजे तो ज खरुं सांभळ्युं कहेवाय.
विकल्पो छोडीने, आ वीतरागविज्ञाननी वात लक्षपूर्वक सांभळो. बीजा रस छोडीने आ
चैतन्यना वीतरागविज्ञानमां तत्पर थाओ.
वीतरागविज्ञाननो उपदेश अमारी पासे छे ते ध्यानपूर्वक सांभळो. बाकी संसारमां पैसा वगेरे
केम मळे के रोगादि केम मटे–एनो उपदेश अमारी पासे नथी; अमारी पासे तो सुखनो पोषक
एवो वीतरागविज्ञाननो ज उपदेश छे. तेनी जेने गरज होय ते सांभळो.