Atmadharma magazine - Ank 298
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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दश प्रश्न.......दश उत्तर
(१) प्रश्न :– अमने आनंद क्यांय गोत्यो
जडतो नथी!
उत्तर :– दुःख तो देखाय छे ने? –हा! तो ए
दुःखनी पाछळ ज आनंद रहेलो छे.
दुःख ए आनंदनी विकृति छे एटले
ज्यां दुःख छे त्यां ते ज वखते
आनंदशक्ति विद्यमान ज छे.
आनंदशक्ति न होय तो दुःख पण न
होय (जेमके जडमां.) –आ रीते दुःख
ए आनंदना अस्तित्वनी प्रसिद्धि करी
रह्युं छे!
(२) प्रश्न :– हुं कोण?
उत्तर : शुद्ध चैतन्यवस्तु ते हुं.
(३) प्रश्न :– वन्दनयोग्य कोण?
उत्तर :– आत्माना ज्ञान–दर्शन–चारित्रनी
शुद्धता जेने प्रगटी छे ते.
(४) प्रश्न :– वन्दन करनार कोण?
उत्तर :– शुद्धताने ओळखीने तेने प्रगट करवा
चाहतो होय ते.
(प) प्रश्न :– वन्दननी वृत्ति कयां सुधी?
उत्तर :– छठ्ठा गुणस्थान सुधी ज.
(६) प्रश्न :– अरिहंत प्रभु केवळी परमात्मा
कोईने वंदन करे?
उत्तर :– ना. तेओ वंद्य छे, वंदक नथी.
(७) प्रश्न :– जगतमां भावेन्द्रियो केटली?
उत्तर :– अनंत.
(८) प्रश्न :– जगतमां द्रव्येन्द्रियो केटली?
उत्तर :– असंख्यात.
(९) प्रश्न :– जीव शुभरागथी शोभे छे?
उत्तर:– ना; जीवनी शोभा रागथी नथी जीवनी
शोभा तो सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रथी
छे.
(१०) प्रश्न :– शुभराग ते सिद्धिनो उपाय
छे?
उत्तर :– ना; उपेय अने उपाय (साध्य अने
साधन) ए बंनेरूपे ज्ञान ज परिणमे
छे. ज्ञाननुं अधूरुं परिणमन ते
साधन, अने ज्ञाननुं पूरुं परिणमन ते
साध्य, ए रीते बंनेमां ज्ञाननुं ज
परिणमन छे, तेमां राग नथी. रागनुं
भवन ते कांई साधन नथी, ते तो
बाधक छे; ज्ञाननुं भवन ते ज साधन
छे. साध्य अने साधन बंनेनी एक
जात छे. साध्य तो शुद्ध ज्ञान अने तेनुं
साधन राग–एम साध्य–साधनमां
विरुद्धता नथी. विरुद्ध साधन माने ते
सिद्धिने साधी शकतो नथी, ते
संसारमां ज रखडे छे.
रागने जे मोक्षनुं साधन माने छे ते
उपाय अने उपेय बंनेथी भ्रष्ट छे;
नथी तो तेओ मोक्ष पामता, के नथी
मोक्षना मार्गने जाणता; तेओ तो
मिथ्यात्वथी संसारमां ज रखडे छे.