दुःख ए आनंदनी विकृति छे एटले
आनंदशक्ति न होय तो दुःख पण न
रह्युं छे!
उत्तर : शुद्ध चैतन्यवस्तु ते हुं.
(३) प्रश्न :– वन्दनयोग्य कोण?
उत्तर :– आत्माना ज्ञान–दर्शन–चारित्रनी
उत्तर :– शुद्धताने ओळखीने तेने प्रगट करवा
उत्तर :– छठ्ठा गुणस्थान सुधी ज.
(६) प्रश्न :– अरिहंत प्रभु केवळी परमात्मा
(७) प्रश्न :– जगतमां भावेन्द्रियो केटली?
उत्तर :– अनंत.
उत्तर :– असंख्यात.
(९) प्रश्न :– जीव शुभरागथी शोभे छे?
उत्तर:– ना; जीवनी शोभा रागथी नथी जीवनी
छे.
छे. ज्ञाननुं अधूरुं परिणमन ते
साधन, अने ज्ञाननुं पूरुं परिणमन ते
साध्य, ए रीते बंनेमां ज्ञाननुं ज
परिणमन छे, तेमां राग नथी. रागनुं
भवन ते कांई साधन नथी, ते तो
बाधक छे; ज्ञाननुं भवन ते ज साधन
छे. साध्य अने साधन बंनेनी एक
जात छे. साध्य तो शुद्ध ज्ञान अने तेनुं
साधन राग–एम साध्य–साधनमां
विरुद्धता नथी. विरुद्ध साधन माने ते
सिद्धिने साधी शकतो नथी, ते
संसारमां ज रखडे छे.
उपाय अने उपेय बंनेथी भ्रष्ट छे;
नथी तो तेओ मोक्ष पामता, के नथी
मोक्षना मार्गने जाणता; तेओ तो
मिथ्यात्वथी संसारमां ज रखडे छे.