: ३४ : आत्मधर्म : भादरवो : २४९४
जीवननुं ध्येय
:: एक चर्चा ::
बंधुओ, जेम तमे बालसभ्यो घणीवार भेगा थईने आनंदथी धर्मचर्चा करो छो,
तेम केटलाक मित्रो भेगा थईने आनंदथी चर्चा करता हता. तेमां कोई मित्रे प्रश्न कर्यो के
आपणा जीवननुं ध्येय शुं छे?
एक मित्रे कह्युं : अत्यारे B.A. भणुं छुं ने खूबखूब भणीने अमेरिका जवानुं ध्येय छे.
बीजा मित्रे कह्युं : आपणे तो परदेश जवा करतां भारतमां ज रही स्वदेशनी सेवा
करवानुं ध्येय छे.
त्रीजा मित्रे कह्युं : अत्यारे देशनी रक्षानो मोटो प्रश्न छे तेथी आपणे तो लश्करमां सेवा
आपीने, दुश्मनदेशोने बतावी आपवुं छे के भारतना युवानो केवा बहादुर छे!!
चोथो मित्र : आपणे तो वेपारमां झंपलावीने एक करोड रूा.भेगा करवानुं ध्येय छे.
पांचमो मित्र कहे : आपणने धन भेगुं करवानी के परदेशनी अभिलाषा नथी, पण
आपणने मळेलुं भणतर बीजा बाळकोने शीखडाववुं ते ध्येय छे.
छठ्ठो मित्र कहे : आपणने तो परभवनी चिन्ता छे, एटले सारांसारां कामो करीने बीजा
भवे स्वर्गमां जईए एवुं ध्येय छे.
सातमो मित्र कहे : कोने खबर छे! परभवनी चिन्ता करी करीने दूबळा थवा करतां
आपणे तो अत्यारे मोजमजाथी जीववुं ने जींदगीमां आनंद भोगववो ए
ध्येय छे.
आठमो मित्र : आपणे तो बस, खाधेपीधे सुखी रहीए ने थई शके एटली साधुसंतोनी
सेवा करीए–ए सिवाय जीवनमां बीजुं शुं जोईए ?
नवमो मित्र : दुनियाना जीवो अत्यारे बहु दुःखी छे, ते दुःखी जीवोनी सेवामां जीवन
होमी देवुं–एवुं आपणुं ध्येय छे.
दशमो मित्र : मने तो जीवनमां एक ज भावना छे के मारा आत्माने प्राप्त करुं!
आत्मानी शुद्धता प्राप्त करीने आ भवदुःखोथी छूटुं – ए ज मारा जीवननुं
ध्येय छे.
बंधुओ, तमने पण आ दश मित्रोनी साथे चर्चामां भाग लेवानुं मन जरूर थयुं
हशे! तमे पण तमारुं ध्येय जणावो! अथवा आ दश मित्रोमांथी तमने कोनुं ध्येय
गम्युं–ते जणावो.