Atmadharma magazine - Ank 300
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४९८ आत्मधर्म : २१ :
वीरना मार्गे चाल्यो....तेनी पर्यायनुं परिणमन सिद्धपद तरफ ढळ्‌युं.–आनुं नाम
सिद्धने नमस्कार; आनुं नाम साधकभावनी शरूआत; ने आनुं नाम अपूर्व मंगळ.
सिद्धभगवंतोने नमस्काररूप अपूर्व मंगळ करीने आचार्यदेव बहुमानथी कहे
छे के अहो! हुं आ समयसार कहुं छुं, –केवळी अने श्रुत्तकेवळ भगवंतोए कहेला
समयसारने हुं कहुं छुं. अनादिथी जगतमां केवळी भगवंतो थता आव्या छे ने
वाणीद्वारा शुद्धात्मानुं स्वरूप कहेता आव्या छे; त्रिकाळज्ञ केवळीभगवंतोनो
त्रणकाळमां कदी विरह नथी. एवा केवळी भगवंतोनी ज परंपरा मने मळी छे ते–
अनुसार हुं आ समयसारमां कहीश. भले, केवळीभगवंतोए कह्युं पण अत्यारे तो
कहेनारा आचार्यदेव छेने, एटले आचार्यदेवनो पोतानो स्वानुभव पण भेगो ज
छे; केवळी भगवंतोए जे कह्युं ते झीलीने पोते स्वानुभव कर्यो छे, ने ते
स्वानुभवरूप निजवैभवसहित आ समयसारमां शुद्ध आत्मा देखाडे छे. आ रीते
आचार्यदेवनुं कथन केवळी अने श्रुतकेवळी जेवुं ज प्रमाण छे. एकला शब्दो ते
प्रमाण नथी, केमके ज्ञातापुरुष वगर शब्दोना साचा अर्थने जाणशे कोण? माटे कहे
छे के शब्दोनुं परिणमन अनादि छे तेम तेना अर्थने जाणनारा वीतरागी ज्ञानी
पण अनादिथी थता आवे छे, तेनी संधिनो प्रवाह कदी तूटे नहि. आ रीते सूत्रने
जाणनारा ज्ञानी पुरुषोनी परंपरा द्वारा शास्त्रनी प्रमाणता छे. अनादि केवळी
परंपरा साथे शास्त्रनी संधि जोडीने आचार्यदेव प्रमोदथी कहे छे के अहो! केवळी
अने श्रुतकेवळी भगवंतोनी परंपराथी मळेला एवा आ समयसारने हुं कहुं छुं,
तेने हे श्रोताओ! अंतरमां सिद्धपणुं स्थापीने सांभळो!–तेना श्रवणथी मोहनो
नाश थई जशे ने परमसुखनो अनुभव थशे.
आचार्यदेव कहे छे के ‘हुं समयसार कहुं छुं, शुद्धात्मा देखाडुं छुं’–ते एम
सूचवे छे के सामे तेवा शुद्धात्मानी रुचिवाळा श्रोता पण विद्यमान छे; शुद्धात्मानो
अनुभव करी शके एवी जीवनी लायकात छे, ते देखीने तेने शुद्धात्माना अनुभवनो
उपदेश आपे छे. आम निमित्त–उपादाननी एटले वकता–श्रोतानी संधिपूर्वक आ
समयसारनी अलौकिक रचना थई छे. अहो, कोई अद्भुत योगे आ शास्त्र रचायुं
छे. आचार्यदेवे आ समयसार रचीने पंचमकाळना भव्यजीवोने माटे मोक्षपंथ
टकावी राख्यो छे.
अने तेमांय शरूआतथी ज आत्मामां सिद्धोनी स्थापनारूप अपूर्व
मंगलाचरण वडे शुद्ध साध्यना लक्षे साधकभाव शरू कर्यो छे. हुं सिद्ध–एटले के मारो
आत्मा सिद्ध