Atmadharma magazine - Ank 300
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४९८ आत्मधर्म : ४५ :
आ अंकना टाईटल पृष्ठ २ उपर जे भगवंतोनां दर्शन थाय छे तेमां प्रथम द्रश्य
तो दक्षिणदेशथी (श्रवणबेलगोलथी) पधारेला २४ भगवंतोनुं छे; ने बीजुं द्रश्य
विदेहक्षेत्रथी पधारेला सीमंधरनाथना समवसरणनुं छे...जेमां कुंदकुंदस्वामी ऊभा छे.
सोनगढना मुक्तिमंडपमां भक्तोनुं निमंत्रण स्वीकारीने सर्वे भगवंतो पधार्या छे.
अने आ सामे ऊभा ते बधाय भगवंतो पधार्या छे देवगढ (उत्तर प्रदेश) थी;
वाह! देवगढनो देवदरबार सोनगढमां आव्यो छे:–
आ सर्वेने साथे तथा प्रत्येकने प्रत्येकने
वंदुं वळी हुं मनुष्यक्षेत्रे वर्तता अर्हन्तने.