Atmadharma magazine - Ank 300
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४९८ आत्मधर्म : ३ :
आवो शुद्धआत्मा छे ते भावरूप वस्तु छे, शुद्ध सत्तारूप छे; सिद्धदशा थतां तेनो
अभाव नथी थई जतो, पण पोतानी चैतन्यसत्तामां भावरूप छे; स्वसत्ताथी भावरूप छे,
ने परसत्ताथी अभावरूप छे. सत्तारूप वस्तु छे, पण केवी सत्ता? के चैतन्यस्वभावथी
भरेली छे. आ मंगलाचरणमां शुद्ध आत्मद्रव्य, तेना गुण, ने तेनी निर्मळपर्याय ए त्रणे
आवी गया. ने तेने प्रगट करवानो उपाय पण बताव्यो के
स्वानुभूत्या चकासते एटले के
पोते पोताना अनुभवरूप क्रियावडे प्रगट थाय छे. आत्मा पोते पोताने स्वानुभव वडे ज
जाणे छे; विकल्पवडे, रागवडे, वाणीवडे आत्मां जणातो नथी.
अहा, चैतन्यवस्तुनी कोई अपार शक्ति ने अपार महिमा छे. चैतन्यस्वभावथी
भरेलो भगवान आत्मा, ते स्वानुभवथी पोते पोताने जाणे छे. स्वानुभूतिरूप क्रियावडे
आत्मानी पूर्ण शुद्धदशा जेने प्रगटी ते देव छे, ते ईष्टपद छे, ते साध्य छे. तेने लक्षमां
लईने मंगळाचरणमां नमस्कार कर्यां छे. जे शुद्धआत्माने नम्यो ते रागने नहि नमे;
शुद्धात्मा जेणे रुचिमां लीधो ते रागनी रुचि नहि करे. रागथी जुदो पडीने शुद्धआत्माने
लक्षमां लीधो त्यां साधकदशा थई, अपूर्व मंगळ थयुं. ज्ञाननी बीज ऊगी ते हवे वधीने
केवळज्ञान–पूर्णिमारूप थशे.
जेवा सिद्धपरमात्मा शुद्ध छे तेवो ज दरेक आत्मानो शुद्धस्वभाव छे. आवा
शुद्धस्वभावपणे आत्माने देखवो–श्रद्धवो–अनुभववो ते साचुं ‘नमः समयसाराय’ छे.
समयसार एटले शुद्धआत्मा केवो छे ते जाण्या वगर तेने साचा नमस्कार क्यांथी थाय?
शुद्धआत्मा तरफ पर्याय नमे ते साचा नमस्कार छे.
भगवान्! तुं कोण छो? तेनी आ वात छे. जेओ सिद्ध अने अरिहंत परमात्मा
थया तेओ क्यांथी थया? आत्मामां एवो स्वभाव छे ते अनुभववडे प्रगट करीने तेओ
परमात्मा थया; तेम आ आत्मामां पण एवो स्वभाव विद्यमान ज छे, तेनी सन्मुख
थईने अनुभव करतां आ आत्मा पोते परमात्मा थाय छे. भाई, आवो तारो आत्मा छे
तेने तुं प्रतीतमां ले, ओळखाण कर. आवा स्वभावनी सन्मुख थईने अनुभव करतां
वच्चे रांगना भाव वगर सीधो आत्मा वेदनमां आवे छे; आवा स्वसंवेदनरूप जे क्रिया छे
ते धर्म छे, ते आत्माने प्रसिद्ध करवानो उपाय छे. अंतर्मुख आवी परिणतिमां भगवान
आत्मा आखो प्रसिद्ध थाय छे; तेमां द्रव्य–गुण–पर्याय त्रणे समाई गया.
द्रव्य–गुण–पर्यायस्वरूप आत्मा जेवो छे तेवो भगवाने ओळखाव्यो छे.
भगवानने तो द्रव्य–गुण पर्याय त्रणे शुद्ध थई गया छे; विकार रह्यो नथी; आ आत्मानो
पण एवो–