Atmadharma magazine - Ank 301
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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वार्षिक लवाजम वीर सं. २४९प
चार रूपिया कारतक
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भगवान महावीर
अहा...भरतक्षेत्रना ए
धर्मतीर्थकर्ता...जेमनुं नाम लेतां ज
२४९४ वर्षने भेदीने मुमुक्षुनी स्मृति
ठेठ पावापुरीना समवसरणमां पहोंची
जाय छे...ज्यां तीर्थंकरदेव दिव्यध्वनिवडे
मोक्षमार्ग उपदेशी रह्या छे, ज्यां
गौतमस्वामी, सुधर्मस्वामी अने
जंबुस्वामी जेवा रत्नत्रयधारी संतो ए
वाणी साक्षात् झीलीने मोक्षमार्ग साधी
रह्या छे, ईन्द्रो अने श्रेणीक जेवा
राजवीओ भक्तिथी प्रभुचरणने सेवी
रह्या छे... अहा...श्रुतनो समुद्र उल्लसी
रह्यो छे...अढीहजार वर्षने उल्लंघीने
उल्लसता ए श्रुतसमुद्रना मधुर तरंगो आजेय मुमुक्षुना हृदयने पावन करे छे.
अहा, प्रभो! जेवा सिद्धालयमां बिराजो छो एवा ज पूर्ण ज्ञान ने पूर्ण
आनंदरूपे आप अहीं आ भरतभूमिमां, आ पावापुरीमां बिराजता हता, ने ए
अतीन्द्रिय ज्ञान–आनंदमय अमारा स्वरूपने आप समवसरणमां प्रकाशता हता.
आजेय चाली रहेला आपना मार्गनो ए प्रवाह प्राप्त करीने अमेय आपना मार्गे आवी
रह्या छीए...एटले आप जाणे अमारी सामे साक्षात् बिराजो छो.