: ३८ : आत्मधर्म : मागशर : २४९प
अहीं दश प्रश्नो रजु कर्या छे; आ दशे
प्रश्नोना उत्तर आत्मधर्मना गतांकमां
(अंक ३०१ मां) समायेला छे; ते
शोधवा माटे आप ते अंकनुं
पुनरावर्तन करो.
(१) घणुं मोटुं कार्य–ते शुं? अने तेनुं महान साधन क्युं?
(२) नंदीश्वरनी पूजा करवा जतां जतां वच्चे विमान अटक्युं ने वैराग्य पाम्या–
ते कोण? ने क्यां?
(३) गतांकमां पूछेला एक प्रश्ननो उत्तर छे–‘चरमशरीरी जीवो.’ ते प्रश्न शुं
हतो?
(४) श्रीमद् राजचंद्रजीनो आत्मा अत्यारे क्यां छे? स्वर्गमां, मोक्षमां के
विदेहमां?
(प) आत्मानुं साचुं धन कोणे प्राप्त कर्युं?–साचो आत्मा कोण?
(६) सिद्धनो साधर्मी कोण?
(७) ‘आत्मा अनादि अनंत मंगळरूप छे’–ए अलौकिक वात क्या
महानशास्त्रमां आवे छे?
(८) टूंकी टच वात...जाणो हे भ्रात;...............(दोहरो पूरो करो)
(९) एक उत्तम झाड गुरुदेवे बताव्युं ते झाडनुं बीज शुं छे?
(१०) “–ए रस्ते चालनार सम्यक्त्वपुरीमां जरूर पहोंचशे ज...गुरुदेवना ए
आशीर्वाद छे. (–ए क्यो रस्तो?)
पांच प्रश्नो *
(जेना उत्तर आप आवता अंकमां वांचशो.)
(१) जगतमां आराधक जीवो झाझा, के आराध्य जीवो झाझा?
(२) पंच परमेष्ठीमां सौथी झाझी संख्या कोनी?
(३) जगतमां क्षायिक सम्यग्द्रष्टि जीवो केटला?
(४) समयसारमां अधिकार केटला?–तेनां नाम?
(प) ‘क’ उपर नामवाळा तीर्थंकर केटला? (र४ मांथी)