आत्मद्रव्य पोते जाय छे, एटले तेमां तन्मय एकरूप थईने परिणमे छे, पण आत्मद्रव्य
पोताना गुण–पर्यायथी बहार बीजामां (शरीरादिमां) जतुं नथी.
वखते एक होय छे ने गुणो एक साथे अनंत होय छे.–ए बधा गुण पर्यायो द्रव्यने
प्राप्त करे छे. एटले एक वस्तुनी पर्यायो कोई बीजा वडे पमाय एम नथी. पोतानी
पर्याय (अशुद्ध के शुद्ध) तेना वडे पोतानुं द्रव्य पमाय, पण ते पर्याय वडे (ज्ञानवडे के
रागवडे) कोई बीजाने आत्मा प्राप्त करी शके एम नथी.
द्रव्यने ज प्राप्त करे छे–तेमां तन्मय थईने परिणमे छे. एटले पर्यायना आधारे बीजी
पर्याय थती नथी केमके पर्याय ते बीजी पर्यायने पामती नथी पण ते ते काळे द्रव्यने
ज पामे छे. वर्तमान समयनी पर्याय वर्तमान वर्तता द्रव्यने प्राप्त करे छे, बीजा
समयनी पर्याय ते वखतना द्रव्यने प्राप्त करशे. पर्यायो भले एक पछी एक थाय छे,
पण दरेक पर्याय ते ते समये स्वद्रव्यने प्राप्त करे छे. पर्याय जड हो के चेतन, अशुद्ध
हो के शुद्ध–तेना वडे द्रव्य पमाय छे, पोतपोताना द्रव्यमां ते जाय छे, बीजा पासे जती
नथी. पर्यायनी एकरूपता द्रव्य साथे छे, बीजानी साथे नथी. माटे बीजा वडे पर्याय
थती नथी.
विपरीतता मटी जाय छे ने सम्यग्ज्ञाननी उज्वळता थाय छे. अहो, आ तो लोकालोकना
पदार्थनो प्रकाशक अलौकिक दीवडो छे. आ टीकानुं नाम