Atmadharma magazine - Ank 303
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: १० : आत्मधर्म : पोष : २४९प
ज एवुं छे के पोते ज पोताना गुण–पर्यायोने पामे छे. पोताना गुण–पर्यायो पासे
आत्मद्रव्य पोते जाय छे, एटले तेमां तन्मय एकरूप थईने परिणमे छे, पण आत्मद्रव्य
पोताना गुण–पर्यायथी बहार बीजामां (शरीरादिमां) जतुं नथी.
बीजा प्रकारे द्रव्यनी व्याख्या एम छे के जे गुणो पर्यायो छे तेओ पोताना द्रव्यने
ज प्राप्त करे छे, पण कोई बीजाने (निमित्तो वगेरेने) ते प्राप्त करता नथी. पर्याय एक
वखते एक होय छे ने गुणो एक साथे अनंत होय छे.–ए बधा गुण पर्यायो द्रव्यने
प्राप्त करे छे. एटले एक वस्तुनी पर्यायो कोई बीजा वडे पमाय एम नथी. पोतानी
पर्याय (अशुद्ध के शुद्ध) तेना वडे पोतानुं द्रव्य पमाय, पण ते पर्याय वडे (ज्ञानवडे के
रागवडे) कोई बीजाने आत्मा प्राप्त करी शके एम नथी.
आत्माना ज्ञानादिगुणो ने श्रुतज्ञानादि पर्यायो ते कोने प्राप्त करे? के पोताना
आत्मद्रव्यने ज ते प्राप्त करे छे. ते पर्याय कांई बीजी पर्यायने प्राप्त करती नथी, पण
द्रव्यने ज प्राप्त करे छे–तेमां तन्मय थईने परिणमे छे. एटले पर्यायना आधारे बीजी
पर्याय थती नथी केमके पर्याय ते बीजी पर्यायने पामती नथी पण ते ते काळे द्रव्यने
ज पामे छे. वर्तमान समयनी पर्याय वर्तमान वर्तता द्रव्यने प्राप्त करे छे, बीजा
समयनी पर्याय ते वखतना द्रव्यने प्राप्त करशे. पर्यायो भले एक पछी एक थाय छे,
पण दरेक पर्याय ते ते समये स्वद्रव्यने प्राप्त करे छे. पर्याय जड हो के चेतन, अशुद्ध
हो के शुद्ध–तेना वडे द्रव्य पमाय छे, पोतपोताना द्रव्यमां ते जाय छे, बीजा पासे जती
नथी. पर्यायनी एकरूपता द्रव्य साथे छे, बीजानी साथे नथी. माटे बीजा वडे पर्याय
थती नथी.
आत्मानी केवळज्ञानपर्याय परिणमीने आत्मद्रव्यने प्राप्त करे छे, पण ते
केवळज्ञानपर्याय परिणमीने दिव्यध्वनिने के समवसरणने प्राप्त करती नथी.
जुओ तो खरा, आ वीतरागशासननी अलौकिक वस्तुस्थिति! जिनेन्द्रदेवना
उपदेशमां आवी वस्तुव्यवस्था छे. आवी वस्तुव्यवस्था विचारमां लेतां बधा प्रकारनी
विपरीतता मटी जाय छे ने सम्यग्ज्ञाननी उज्वळता थाय छे. अहो, आ तो लोकालोकना
पदार्थनो प्रकाशक अलौकिक दीवडो छे. आ टीकानुं नाम
तत्त्वप्रदीपिका छे.–तत्त्वोनुं
यथार्थस्वरूप ते प्रकाशे छे.
[गुणपर्ययवत्द्रव्यं]
अहीं आचार्यदेव कहे छे के द्रव्य ज गुण–पर्यायोने प्राप्त करे छे ने गुण–पर्यायोवडे
द्रव्य ज पमाय छे,–एटले निमित्तने लीधे पर्याय प्राप्त कराय एम नथी.