आजे आपणा समाजनी परिस्थिति–
(संपादकीय)
युवान पेढीनी शिथिलता के उत्साह?
(१) जैनगझट’ लखे छे के–“कहा जाता है कि आज का युवान मंदिर नहीं
जाता, देवदर्शन नहीं करता, रात्रिभोजन करता है, धर्मशास्त्रोंके अध्ययनसे मुंह
मोडता है।।......”
एनो अर्थ ए थयो के, उपरोक्त देवदर्शनादि कार्यो करवा माटे युवकोने
प्रोत्साहन आपे एवुं साहित्य त्यांना पत्रोमां पीरसातुं नथी.
(२) हवे बीजी बाजु जोईए तो–सोनगढनुं ‘आत्मधर्म’ मासिक लखे छे के–
“आजे हजारो बाळको जाग्या छे, ने घरे घरे धार्मिक संस्कारोनी सुगंध रेलावी रह्या छे,
त्यारे कोण कही शकशे के बाळकोमां धर्मसंस्कार नथी? देशभरमां हजारो बाळको आजे
जीव–अजीवना तत्त्वज्ञाननी चर्चा करे छे, भगवानना दर्शन करे छे, बीजा अनेक प्रकारे
उच्च संस्कारोथी धर्ममां रस ल्ये छे. ए ज रीते आजना हजारो कोलेजियन युवानो पण
जैनधर्मना उत्तम संस्कारो वडे पोताना जीवनने उज्वळ बनाववा प्रयत्नशील छे.
घणाए तो रात्रे खावानुं के सीनेमा जोवानुं पण छोडी दीधुं छे.–बधाय जागृत बनीने
धर्मसंस्कारनुं महत्त्व समज्या छे. –जरूर छे मात्र तेमने प्रोत्साहन आपवानी.”
जुदी जुदी परिस्थितिनो उल्लेख करता उपरना बे लखाणो वांचवाथी ख्यालमां
आवशे के उपरोक्त बंने पत्रोनी समाजमां केवी असर छे? आत्मधर्म द्वारा आजे
महान धार्मिक जागृती फेलाई रही छे.
खरेखर ज्यां युवानसमाजमां ओछा धर्मसंस्कारो देखाता होय त्यां पण
मुख्य कारण ए छे के ते विभागना पत्रकारो पोताना पत्रोमां एवी कोई धार्मिक
सामग्री रजु नथी करता के जे युवकवर्गने धर्म प्रत्ये आकर्षित करे! पंडितोना
वादविवादनी ज वातो जेमां खूब चर्चाती होय तेमां युवकवर्गने क्यांथी रस आवे?
आपणा समाजना अनेक जैनपत्रोमांथी, आजे बाळकोने के युवानोने उत्तम धार्मिक
संस्कारो आपे एवुं साहित्य केटला पत्रो आपे छे? ते विचारवा जेवुं छे.
छेल्ला त्रण वर्षमां ‘आत्मधर्म’ मासिके (बालविभाग द्वारा) ए प्रकारनो थोडो
घणो प्रयत्न करी जोयो, अने तेना फळमां आजे अढी हजारथी वधु बाळको–युवानो
(गुजराती भाषा जाणनाराओमांथी ज) एवा तैयार थई गया छे के खूबज उमंगथी
धार्मिक प्रवृत्तिओमां रस लईने जैनसमाजनी शोभा वधारी रह्या छे. कोलेजना उच्च
अभ्यासनी साथे साथे नियमित धार्मिक अभ्यास, देवदर्शन करे छे, रात्रिभोजन के सीनेमा
जेवी वस्तु छोडे छे. ‘आत्मधर्म’ हंमेशा बाळकोनी तेमज युवानोनी पासे ऊंचामां ऊंचा
धार्मिक आदर्शो रजु करीने प्रेमथी तेमने बोलावे छे के: ‘वहाला बंधुओ...
(अनुसंधान माटे जुओ–टाईटल पानुं ३)