Atmadharma magazine - Ank 303
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 43 of 49

background image
: ४० : आत्मधर्म : पोष : २४९प
* उमराळाना प्रकाश एम. जैन (सभ्य नं २९३) मुंबईथी लखे छे के–गुरुदेव
अमारा गामना छे तेथी अमे गौरव अनुभवीए छीए अमे आखुं आत्मधर्म सारी
रीते वांचीए छीए, ने ज्ञान मेळवीए छीए. तेमां जे पुनरावर्तनरूप परीक्षा विभाग
शरू कर्यो ते घणुं ज सारूं कर्युं छे, तेथी अमारो रस वध्यो छे, ने आ योजना बदल खूब
ज धन्यवाद! अमारी भावना छे के आत्मधर्म महिनामां एक वखत आवे छे तेने बदले
बे वखत आवे. (भाईश्री, हजारो जिज्ञासुओ पण तमारा जेवी ज भावना धरावे छे.)
* अमदावाद बालविभागना प्रतिनिधि लखे छे के–आत्मधर्म अने तेमां
पुनरावर्तन रूप परीक्षानो विभाग घरेघरे नाना मोटानी वच्चे तत्त्वचर्चानुं सुंदर
वातावरण जमावे छे... आवी प्रवृत्तिनो विकास थाय तेम सौ ईच्छे छे.
अमेरिकामांथी कोई जीवो मोक्ष पाम्या हशे? हा, अनंता जीवो त्यांथी मोक्ष
पाम्या छे. रशियामांथी? –हा, त्यांथी पण अनंता.
आखोय अढीद्वीप ते सिद्धक्षेत्र छे, ने तेमां दरेक स्थानेथी अनंता जीवो मोक्ष
पाम्या छे. भारत अमेरिका के विदेहक्षेत्र वगेरे बधा देशोनो समावेश अढीद्वीपमां थाय
छे. एटले मात्र भारत नहि, अमेरिका ने आफ्रिका, युरोप वगेरे पण सिद्धभूमि छे.
त्यांथी पण अनंता जीवो सिद्धपदने पाम्या छे.
* बगदाणा (तळाजा) थी सत्यदेवभाईनो पत्र छे, साथे गुरुदेव प्रत्ये अंजलि
तेमज दोहा वगेरे पण लखी मोकल्या छे. तेओ २६ वर्षना युवान, हरिजन–वणकर
ज्ञातिना ब्राह्मण छे; सोनगढ आवी गुरुदेवनी वाणी सांभळीने तेमने थयुं के आवा
जैनधर्म सिवाय क्यांय उद्धार नथी...अहो, गुरुदेव तो बतावे छे के ‘हुं जिनवरनो
सन्तान छुं.’ तेमनी साथे बीजा त्रीसेक मित्रो (जेमां हरिजनो ने कोळी भाईओ पण
छे–तेओ) भजनमंडळी निमित्ते भेगा मळीने जैनधर्मना अभ्यासनो प्रयास करे छे.
उत्तम जैनसंस्कारो पामीने तेओ जीवनने उज्जवळ करे एम ईच्छीए छीए. तेमना
लखाणनो योग्यभाग ‘उपकार–अंजलि’ मां लईशुं.
* अमेरिकाथी श्री लीलाबेन शाह तरफथी गुरुदेवप्रत्येनी भक्तिभीनी उपकार–
अंजलि आवी गई छे. परदेशमां वसता बधाय भक्तो जरूर अंजलि लखी
मोकले...अने, हे भारतना भक्तो! तमे हवे क्यारे जागशो?
* देह अने आत्मा तद्न भिन्न छे, ते आ दुनियासमक्ष बतावी गुरुदेवे ज्ञाननो
मोटो महासागर आपणी समक्ष रजु करेल छे. आवा आत्मानी ओळखाण करी करी
बीजी माताने पेट अवतार धारण न करवो