Atmadharma magazine - Ank 304
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: १६ : आत्मधर्म : महा : २४९प
वीतराग – विज्ञान
प्रश्नोतरी
वीतरागविज्ञान भाग–१ एटले के छहढाळाना प्रथम अध्यायना
प्रवचनो, तेमांथी दोहन करीने अहीं २०० प्रश्नो अने तेना उत्तर
आपवामां आव्या छे. टूंकी भाषामां ने सुगम शैलीमां आ प्रश्न–उत्तर
सर्वे जिज्ञासुओने गमशे, ने छहढाळानो अभ्यास करवामां विशेष
रस जगाडशे.
१. जगतमां केटला जीवो छे?...अनंत.
२. जीवोने शुं वहालुं छे?...सुख.
३. जीवो शेनाथी भयभीत छे?...दुःखथी.
४. श्रीगुरु केवो उपदेश आपे छे?
जेनाथी सुख थाय ने दुःख मटे एवो.
प. सुख शेनाथी
थाय?...वीतरागविज्ञानथी.
६. वीतरागविज्ञान केवुं छे?...त्रण
जगतमां साररूप छे.
७. कल्याणरूप कोण छे?...वीतरागविज्ञान
८. पंचपरमेष्ठीनुं पूज्यपणुं शेने लीधे छे?
वीतरागविज्ञानने लीधे.
९. वीतरागविज्ञानने नमस्कार कई रीते
थाय?
रागथी भिन्न आत्मानी ओळखाण वडे.
१०. वीतरागविज्ञानमां शुं समाय छे?
सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप मोक्षमार्ग
तेमां समाय छे.
११. ‘वीतरागविज्ञान’ मां रत्नत्रय कई
रीते समाय छे?
‘विज्ञान’ कहेतां सम्यग्ज्ञानने सम्यग्दर्शन
आव्या, ने ‘वीतराग’ कहेतां
सम्यक्चारित्र आव्युं; आ रीते रत्नत्रयरूप
मोक्षमार्ग वीतरागविज्ञानमां समाय छे.
१२. अहीं वीतरागविज्ञानने नमस्कार
कर्या, अरिहंतने केम न कर्या?
वीतरागविज्ञानने नमस्कार करतां तेमां
अरिहंतने नमस्कार आवी जाय छे; केमके
अरिहंत वगेरे वीतरागविज्ञानस्वरूप छे.
अरिहंतना गुणने ओळखीने नमस्कार
कर्या तेमां अरिहंतने नमस्कार आवी ज