Atmadharma magazine - Ank 306
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९प
आ रीते भगवान आत्मानुं परिवर्तन थयुं; अनादिनो संसारभाव छूटीने अपूर्व
सिद्धभाव प्रगट थयो. एवा परिवर्तननो आजनो दिवस छे.
भगवान कुंदकुंदाचार्यदेवने महावीरपरमात्मानो सीधो प्रत्यक्ष संबंध थयो न हतो,
परोक्षभक्ति हती ने सीमंधरपरमात्मानो तो साक्षात् प्रत्यक्षयोग थयो हतो. अहो,
पंचमकाळे आ क्षेत्रना जीवने बीजा क्षेत्रना तीर्थंकरनो साक्षात् भेटो थाय ए पात्रता
केटली! ने केटला पुण्य! एवा आचार्यभगवाने तीर्थंकरपरमात्मानी वाणी झीलीने आ
शास्त्र रच्युं छे. तेमां आत्मानुं स्वसंवेदन केम थाय ते वात आ १७२ मी गाथामां
अलौकिक रीते बतावी छे. अलिंगग्रहणना वीस बोलमांथी आजे छठ्ठो बोल चाले छे.
अतीन्द्रिय चिदानंदमूर्ति भगवान आत्मा ईंद्रियोथी जाणनारो नथी, तेम ज ते
ईंद्रियोवडे जणाय तेवो नथी; ईद्रियगम्य चिह्नो वडे पण ते जणातो नथी, एकला
अनुमानवडे पण ते जणातो नथी, तेम ज पोते एकला अनुमानवडे बीजाने जाणे–एवो
पण नथी. लिंगथी एटले ईंद्रियोथी–विकल्पोथी के एकला अनुमानथी नहि पण प्रत्यक्ष
स्वसंवेदनथी जाणनार एवो प्रत्यक्षज्ञाता आत्मा छे, पहेलां पांच बोलमां ईंद्रियो के एकलुं
अनुमान वगेरे व्यवहार काढी नाख्यो, ने आ छठ्ठा बोलमां हवे प्रत्यक्षज्ञाता कहीने
अस्तिथी वात करी छे.
वर्तमान पर्यायनी स्फुरणामां स्वभावना निर्णयनुं जोर न आवे त्यांसुधी ते
अंतर्मुख थई शके नहि. स्वसंवेदनथी स्वयं प्रकाशे एवो स्वयंप्रकाशी आत्मा छे. भाई,
चैतन्यनो महिमा घूंटता घूंटता तारा निर्णयमां एम आवे के अहो! मारी आ वस्तु ज
स्वयं परिपूर्ण–ज्ञानानंदस्वरूप छे,–आवा निर्णयथी अंतर्मुख थतां स्वसंवेदनवडे आत्मा
प्रत्यक्षज्ञाता थई जाय छे;–एनुं नाम सम्यग्दर्शन छे, ते पूर्णताना पंथे चडयो, तेणे
परमात्मानो साक्षात्कार कर्यो, ते वीरना मार्गे वळ्‌यो, आ छे भगवान महावीरनो सन्देश!
भाई, बहारनुं बधुं एकवार भूली, अंतरवस्तुनो निर्णय करवामां एवुं जोर लाव
के द्रष्टि अंतरमां वळेेे...स्वभावनुं घणुं घणुं माहात्म्य अने अधिकाई लक्षमां लेतां ते
अनुभवमां आवे–एनुं नाम धर्म छे. आ सिवाय बीजा झगडामां रूकावट थाय ते
मोक्षपंथमां आडखीलीरूप छे. तारा ज्ञान ने आनंदनुं तने प्रत्यक्ष वेदन थाय–ते न जणाय
एवुं नथी, प्रत्यक्षज्ञाता थईने आत्मा पोते स्वसंवेदनथी पोताने जाणे छे. पहेला बोलमां
ईंद्रियो वगेरेनो निषेध करीने छठ्ठा बोलमां स्वभाववडे आत्मा जाणे–एम