: चैत्र : २४९प आत्मधर्म : २७ :
तारा पगले पगले नाथ! झरे छे आतमरसनी धार
(२)
पू. गुरुदेव साथेना मंगल प्रवासनां मधुर संभारणा अहीं रजु
थाय छे. अहा! ज्यारे तीर्थंकर भगवंतो विचरता हता अने तेमनी साथे
अनेक साधकोनो संघ विहरतो हतो–ए द्रश्यो ने ए भावो केवा हशे! एनी
मधुरी यादी गुरुदेव साथेना विहारमां जागे छे. माह वद छठ्ठे सोनगढथी
मंगल प्रस्थान कर्या पछी राणपुर थईने अमदावाद पधार्या ने त्यां
अत्यंत आनंदकारी पंचकल्याणक–महोत्सव थयो. तेनुं केटलुंक वर्णन
गतांकमां आव्युं छे. त्यार पछीनुं अमदावादनुं तेमज रणासण वगेरेनुं
वर्णन अहीं रजु थाय छे. –ब्र. ह. जैन
अमदावाद शहेर.....गुजरातनुं पाटनगर......सवालाख जेटला जैनोथी
शोभती आ नगरी जिनेन्द्रभगवानना कल्याणको वडे विशेष शोभी ऊठी. अने
पाटनगरनुं आ जिनालय पण अद्भुत छे, तेमांय विशाळ जिनबिंबोनी वीतरागी
प्रभा जिनालयनी भव्यतामां ओर उमेरो करे छे. आवा जिनमंदिरनी शुद्धि
धर्मात्माओना सुहस्ते फागण सुद एकमे थई.
फागण सुद बीज: आजना सुप्रभातमां सौधर्मसभामां एकाएक सिंहासन
धू्रजी ऊठयुं, मंगल घंटनाद थवा लाग्या, शंख गाजवा मांडया ने वाजिंत्रो वागवा
मांडया......आम अनेकविध मंगलचिह्नो थतां श्री नेमितीर्थंकरनो जन्म थवानुं
जाणीने सौधर्मेन्द्र ऐरावत हाथी पर देव–देवीओ सहित आवी पहोंच्या, नगरीने
प्रदक्षिणा करी....सर्वत्र आनंद छवाई गयो. बीजी तरफ समुद्रविजय महाराजाना
दरबारमां आनंद छवाई गयो. अमदावादनगरी आज भगवाननो जन्मोत्सव
नीहाळीने हर्षविभोर बनी.....माताजीनी गोदमांथी नानकडा नेमकुंवरने तेडीने
ईन्द्राणीए ईन्द्रना हाथमां आप्या......ने धामधूमपूर्वक प्रभुजीना जन्मोत्सवनी
सवारी मेरूपर्वत तरफ चाली....नगरीना हजारो–लाखो माणसो आर्श्चयथी जोई रह्या
के अहा, आपणी नगरीमां आ शुं बनी रह्युं छे! आ शेनो आनंद छवाई रह्यो छे!
आम नगरीने आनंद अने आश्चर्यमां गरकाव करती प्रभुजीनी सवारी मेरु पर्वते
आवी पहोंची (मेरुनी रचना प्रोपायटरी स्कूलना मेदानमां हती.) मेरु पर