* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: वैशाख : २४९प आत्मधर्म : २७ :
सेंकडो जिज्ञासुओ लाभ ल्ये छे. ८ थी मांडीने ९० वर्षना माणसो शिक्षणवर्गमां बेसता
होय छे.
‘आत्मधर्म’ मासिकनुं प्रकाशन
गुरुदेवना भक्त–जिज्ञासुओ सौराष्ट्रमां ने देशभरमां ठेर ठेर प्रसरेला छे, ने
तेओ नियमित गुरुदेवनो सन्देश मेळववा आतुर होय छे. एटले सं. २०००ना
मागशर मासथी ‘आत्मधर्म’ मासिकनुं प्रकाशन शरू थयुं; एना द्वारा गुरुदेवनो सन्देश
भारतभरमां प्रसरवा लाग्यो; भारतना खूणेखूणेथी अनेक जिज्ञासुओ आकर्षावा
लाग्या. हुकमचंदजी शेठ जेवा अनेक महानुभावो पण ‘आत्मधर्म’ द्वारा सोनगढ
आकर्षाया. तेमने एवो प्रमोद आवेल के ‘आत्मधर्म’ नुं एक साथे पचीस वर्षनुं
लवाजम तेमणे मोकली आपेलुं ने हिन्दीभाषामां तेना प्रकाशन माटे रूा. १००१)
आपेला. भारतना अध्यात्म–साहित्यमां ‘आत्मधर्म’ नुं स्थान घणुं ऊंचुं छे, अनेक
पत्र–पत्रिकाओ ने साहित्यकारो तेनुं अनुकरण करी रह्या छे. गुरुदेवनो सन्देश
प्रसराववामां साहित्यक्षेत्रे ‘आत्मधर्म’ नो फाळो महान छे. अध्यात्मप्रेमी
जिज्ञासुसमाज ‘आत्मधर्म’ प्रत्ये खास प्रेम धरावे छे. आ उपरांत अध्यात्म–
साहित्यनां बीजां प्रकाशनोनी प्रवृत्ति पण संस्थाए हाथ धरी; समयसार–प्रवचनो वगेरे
अनेक पुस्तको (जेनी कुल संख्या सातेक लाख थाय छे) आज सुधीमां प्रकाशीत थयां छे.
ब्रह्मचर्याश्रम
गुरुदेवनी शीतल छायामां अने पवित्र चरणसान्निध्यमां रहीने अध्यात्म–
अभ्यास करवा केटलाक ब्र. भाईओ सोनगढमां ज कायम रहेवा लाग्या...गुरुदेव....बधा
ब्र बाळको प्रत्ये खास प्रेम बतावता, नाना–नाना ब्र. बाळको गुरुदेवनी छायामां
आनंदकिल्लोल करता. गुरुदेव साथेना पादविहार वखते तो अनेरो आनंद आवतो.
अनेक कुमार भाईओए जीवनभर गुरुदेवनी छायामां रहेवाना हेतुथी गुरुदेव पासे
आजीवन–ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे. ए सिवाय बीजा जे गृहस्थोए सजोडे
गुरुदेव पासे आजीवन–ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लीधी छे तेनी संख्या तो सेंकडो छे.
जिनवाणी प्रत्ये अत्यंत बहुमान
सं. २००० नी सालमां ज्यारे गुरुदेव विहारमां हता ते वखते जयधवलनो
पहेलो भाग प्रसिद्ध थयो; ते हाथमां आवतां ने वांचता गुरुदेवने ए जिनवाणी प्रत्ये
एवुं अतिशय बहुमान ने प्रमोद जाग्यो–के जाणे ताजी सांभळेली दिव्यध्वनि फरीने
जोवा मळी; अने गामोगाम राजकोट–वींछीया, लाठी वगेरेमां मुमुक्षुमंडळोद्वारा
उत्साहथी तेनुं श्रुतपुजन थयुं. –जेमां ए जमानामां सेंकडो रूा. थयेला; प्रवचनमां पण