Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: वैशाख : २४९प आत्मधर्म : ३१ :
सांभळीने सौने घणो प्रमोद थयो, मुनिमार्ग प्रत्ये भक्ति जागी. गुरुदेवे आम्रवनमां
‘अपूर्व अवसर’ गवडावीने मुनिपदनी भावना भावी. बेनश्रीबेने पण मुनिवरोना
स्मरणपूर्वक वैराग्यभरी भक्ति करावी. गुरुदेव साथेनो सोनगढनो ए वनविहार
आजेय वैराग्यनी मधुरी ऊर्मिओ जगाडे छे.
अध्यात्मप्रचारनी भावनारूप ठराव
हवे गुरुदेवनो प्रभाव सौराष्ट्रनी बहार दूर दूर पण झडपथी फेलावा मांड्यो
अने आवुं कल्याणकारी अध्यात्मज्ञान आखा जगतमां प्रचार पामे–एवी भावना
घणाने जागवा लागी. मैनपुरीनी जैनसाहित्यसभाए तो ते संबंधी एक प्रस्ताव कर्यो,
(–आ प्रस्ताव पहेलां सोनगढमां उत्तरप्रदेशनी ए मैनपुरीनुं नाम पण कोईए
सांभळ्‌युं न हतुं.) ते प्रस्ताव नीचे मुजब हतो.–
श्री जैन साहित्य सभा–मैनपुरी एवो ठराव करे छे के सुवर्णपुरी–
सोनगढमां एक वायुप्रवचनस्थान (ब्राडकास्टिंग स्टेशन) स्थापित
श्री कानजी स्वामीनां परमोपकारी आध्यात्मिकप्रवचन आखा जगतने
सहेलाईथी मळी शके, अने जेथी जगतना मुमुक्षुओनुं कल्याण थाय.’
–महताबचंद्र जैन
ता. १४–जून १९४७ मंत्री,
(सर्वानुमते पार) श्री जैन साहित्य सभा, मैनपुरी.
विशिष्ट जन्मजयंति
सं. २००४ मां सोनगढमां उजवायेल पू. गुरुदेवनो प९ मो जन्मोत्सव ए एक
विशिष्ट आनंदप्रसंग हतो. भूत–भविष्य साथे संधि धरावनार एक आश्चर्यकारी
मंगळप्रसंग बनेल, तेना महान हर्षोल्लासने लीधे ए उत्सवमां सौने असाधारण उमंग
हतो. त्रण दिवसना ए महान उत्सव वखते (सोनगढमां ते जमानामां ईलेकट्रीकनी
सगवड न होवा छतां) घरे घरे जे दीपकोनी ज्योति झगमगी ऊठी एटला दीपकोनी
अनेक हारमाळा सोनगढमां ए पहेली ज वार थई हशे. अनेक आगेवानोए भावभीना
भाषणो वडे गुरुमहिमा प्रसिद्ध करीने प्रमोद व्यक्त कर्यो; रात्रे पण स्वाध्याय–मंदिरना
खुल्ला चोकमां गुरुभक्तिनो खास कार्यक्रम हतो; आनंद भर्यां नाटको अने अवनवी
भक्ति वडे ए उत्सवमां आनंदना ऊभरा आव्या. अहा! भावि तीर्थंकर अने गणधर
भगवंतोना महिमाथी सुवर्णपुरी गाजी ऊठी.....मुमुक्षुहृदयो खीली ऊठ्यां.