Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: ३२ : आत्मधर्म : वैशाख : २४९प
छ कुमारिका बहेनोनी ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
सं. २००प ना कारतक सुद १३ ना रोज एक नवीन भव्य प्रसंग बन्यो.
सोनगढमां वर्षोथी पू. बेनश्री–बेननी मंगल छायामां वसता ने गुरुदेवना प्रवचनोनो
लाभ लेता (लगभग २२ वर्षनी उंमरना) छ कुमारिका बहेनोए एक साथे आजीवन
ब्रह्मचर्यनी प्रतिज्ञा गुरुदेव समक्ष अंगीकार करी. आ प्रसंग समाजे खास उल्लासथी
ऊजव्यो ने बहेनो माटेना ब्रह्मचर्याश्रमनी पण स्थापना थई. एक साथे छ कुमारिका
बहेनोनी ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञानो आ विरल प्रसंग, पू. गुरुदेव जे अतीन्द्रिय आत्मतत्त्वनी
सन्मुखतानो उपदेश आपी रह्या छे तेनुं ज एक नानकडुं फळ छे. गुरुदेवना आत्मस्पर्शी
उपदेशनुं श्रवण ने मंथन करनारना जीवनमां वैराग्यभाव सहेजे पोषातो जाय छे
तेमांय वळी पू. बेनश्री चंपाबेन तथा पूज्य बेन शान्ताबेन जेवा महान वैरागी
धर्मात्माओनी छायामां दिन–रात ज्ञान–वैराग्यनुं सींचन थतुं होय छे. माता जेवी
वात्सल्यवंती तेओश्रीनी हूंफ बहेनोना जीवनमां महान शरणरूप छे. (त्यार बाद आवा
ज बीजा १४ तथा ८ अने ९ कुमारिका बहेनोना एकी साथे, तेमज बीजा अनेक
बहेनोना ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञाना प्रसंगो बन्या छे.) आत्महित साधवाना लक्षे, अहर्निश
संतोनी छायामां रहेवाना हेतुथी आ ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लेवामां आवी छे, ते एक खास
आदर्श छे, ने एवो आदर्श अपनावनारा पचास जेटलां ब्रह्मचारी बहेनो धन्यवादने
पात्र छे.
‘समयसार–भगवाननो जय हो’
गुरुदेवने ‘समयसार’ उपर महान प्रेम छे–जेवो कुंदकुंद प्रभु उपर. समयसार
एमनुं जीवनसाथी होय एम लगभग दररोज ते वांचता होय छे. १६ वखत तो तेना
उपर प्रवचनो थयां; तेमांथी आठमी वखतना प्रवचनो लगभग अढी वर्ष
चालेलां.....तेनी पूर्णता केवा आनंदथी थई ते अहीं बताववुं छे: सं. २००२ नी
‘श्रुतपंचमी’ थी शरू थयेला ए प्रवचनो, सं. २००प ना मागशर वद आठमे ज्यारे पूर्ण
थया त्यारे छेल्ला प्रवचननी पूर्णता करतां गुरुदेवे कह्युं के हे जीवो! अंदरमां
ठरो...रे...ठरो...! अनंत महिमावंत शुद्धात्मभगवाननो आजे ज अनुभव करो. ज्ञानना
दिवसे (श्रुतपंचमीए) शरू करेलुं आ समयसार आजे चारित्रना दिवसे (कुंदप्रभुनी
आचार्यपदवीना दिवसे) पूर्ण थाय छे. एटले श्रुतज्ञानथी शरूआत थई ते आगळ वधतां
चारित्रदशा प्राप्त करीने ठेठ केवळज्ञान सुधी पहोंचीने पूरुं थशे....बोलो....समयसार
भगवाननो जय..... हो...’ आम गुरुदेवे पोते केवळज्ञानना कोलकरार साथे समयसारना
जयकारपूर्वक ज्यारे समयसारनी पूर्णता करी त्यारे. समस्त मुमुक्षु