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सौराष्ट्रने माटे आ तद्न नवीन हतुं. एक बाजु जयपुरमां मानस्तंभना आरसना
सामाननो ओर्डर देवायो ने बीजी तरफ सोनगढमां एना चणतरनी जोरदार तैयारीओ
थवा लागी. जे दिवसे ने जे टाईमे गुरुदेवे परिवर्तन करेलुं–१७ वर्ष बाद बराबर ते ज
दिवसे ने ते ज टाईमे पू. बेनश्री–बेनना सुहस्ते मानस्तंभना पायानी शरूआत थई.
ने पछी वैशाख वद सातमना रोज गुरुराजनी मंगल छायामां अत्यंत उल्लासभर्या
वातावरण वच्चे पू. बेनश्री–बेने तेमज शेठश्री नानालालभाई वगेरेए उत्साहपूर्वक
मानस्तंभनुं शिलान्यास कर्युं. मानस्तंभनी मोटी मोटी त्रण पीठिकाओनुं सीमेन्टनुं
चणतरकाम सेंकडो भक्त भाई–बहेनो हाथोहाथ उमंगथी करता. प्रवचनमां गुरुदेव
रोज रोज मानस्तंभनो महिमा समजावता. आ ज अरसामां सौराष्ट्रमां केटलाय ठेकाणे
जिनमंदिरो तैयार थया हता ने प्रतिष्ठा माटे गुरुदेवना पधारवानी मुमुक्षुओ राह जोता
हता. तो बीजी तरफ देशभरमांथी अनेक मोटा–नाना जिज्ञासुओ (त्यागीओ तेमज
गृहस्थो) सोनगढ आवता ने गुरुदेवना परिचयथी तेमज सोनगढना अध्यात्म–
वातावरणथी खूब ज प्रभावित थईने ‘धन्य... धन्य’ बोली ऊठता. कोई कहेतुं के
सोनगढ तो विदेहधाम जेवुं लागे छे, तो कोई कहे के ए तो धर्मपुरी छे.
२०१० ना भाईबीजने दिवसे आव्या. तेमां बीजा सामान उपरांत मानस्तंभना
जिनबिंबो पण हता. आनंदपूर्वक कारतक सुद त्रीजे जिनप्रतिमानो गामप्रवेश थयो; ने
मानस्तंभनी पीठिकाना आरसनो पहेलो पाषाण आ दिवसे पू. बेनश्री–बेनना सुहस्ते
चणायो. भगवाननी बेठकनुं स्थापन माह सुद एकमे थयुं ने बराबर ए ज रात्रे
स्वप्नमां गुरुदेवे सीमंधरनाथना अद्भुत दिव्य देदार देख्या. पछी तो एक पछी एक
पथ्थर ऊंचे ऊंचे चडतां चडतां ६३ फूट सुधी पहोंची गया. (गुरुदेवने ए वखते ६३ मुं
वर्ष चालतुं हतुं)
उत्सव! भक्तजनो तो मानस्तंभनी ने महोत्सवनी शोभा जोई जोईने धराता न हता.
प्रतिष्ठा–महोत्सव वखते छ हजार जेटला महेमानो आव्या हता. ते उपरांत आ समय
दरमियान श्रवणबेलगोलमां भगवान बाहुबलीनी प७ फूट ऊंची प्रतिमाना महा
मस्तकाभिषेकनो प्रसंग होवाथी त्यां जतां–आवतां हजारो यात्रिको सोनगढ