Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: वैशाख : २४९प आत्मधर्म : ४१ :
रह्या पछी ए छत उपर उभा उभा जे जयजयनादथी भक्तोए आकाश गजाव्युं छे तेना
रणकार आजेय हृदयमां गूंजे छे. जेमणे जेमणे ए वखतनुं द्रश्य जोयुं ते तो भक्ति
देखीने दिंग थई गया हता. आ जिनमंदिर माटेनुं फंड पण उत्साहपूर्वक वध्ये जतुं हतुं–
एक लाख सुधी पहोंचवानी तैयारी हती.
भादरवानी बे वधामणी
शिखरजीयात्रानो निर्णय अने १४ बहेनोनी ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा
अनेक वर्षोथी गुरुदेव साथे सम्मेदशिखरजी जेवा शाश्वत सिद्धिधामनी यात्रा
करवानी भक्तजनोना हृदयमां जे भावना हती ते पूर्ण करवानी वधाई श्रावण सुद
एकमे भक्ति पछी गुरुदेवे संभळावी...गुरुदेवे कह्युं के आगामी साल (२०१३) मां
फागण लगभगमां सम्मेदशिखरजीनी जात्राए पहोंचवुं छे. अहा, ए वधामणी
सांभळतां साराय मंडळमां सर्वत्र आनंद छवाई गयेल. गुरुदेव साथे जाशुं ने तीर्थोने
भेटशुं....ए संदेश सांभळतां गामेगामना मुमुक्षुओए खुशाली व्यक्त करी. भक्तोनां
हृदय ए ए प्रसंग माटे थनगनी रह्या....जे यात्रानो निर्णय सांभळतांय आनंदनुं आवुं
मोजुं फरी वळ्‌युं ते यात्रा केवी आनंदकारी हशे!! (ए तो आप ‘मंगलतीर्थयात्रा’
पुस्तक वांचशो तो ख्यालमां आवशे.)
सं. २०१२ ना भादरवा सुद पांचमे एक साथे १४ कुमारिका बहेनोए
ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लीधी ते प्रसंग पण घणो प्रभावशाळी हतो.
सवा लाख रूपियाना खर्चे तैयार थयेल भव्य नूतन जिनमंदिरमां उपरना
भागमां नेमिनाथ भगवाननी पुन: वेदीप्रतिष्ठा सं. २०१३ ना का. सुद १२ ना रोज
थई; ए उत्सव घणा हर्षोल्लासथी उजवायो.....सीमंधरनाथ केवा वहाला? –के जेवा
अंतरना ज्ञान वहाला.....ए वाणीथी केम कहेवाय? ईत्यादि प्रकारे भगवाननी अद्भुत
भक्ति थती. जिनमंदिरना शिखर उपर पधारीने गुरुदेवे कळश तथा ध्वजने हाथ
लगाड्यो. लगभग ७प फूट ऊंचे जिनमंदिरनो धर्मध्वज फरकी रह्यो छे. उत्सव पछी
चांदीनी गंधकुटीवाळा नवीन रथमां भगवाननी जे रथयात्रा नीकळी तेनी शोभा ने
तेनो उल्लास अजोड हतो. भक्तोने कलकत्तानी रथयात्रा याद आवती. ए सोनगढनुं
उन्नत्त जिनमंदिर जोईने भक्तो कहेता के जेम मूडबिद्रीमां त्रिभुवनतिलकचूडामणि
जिनालय छे तेम आपणुं आ जिनमंदिर ‘सम्यक्त्वशिखर–चूडामणि’ छे.
सोनगढना उत्सव पछी तरत गुरुदेवे मंगलतीर्थयात्रा माटे विहार कर्यो. वच्चे
पालेजमां जिनमंदिरनी प्रतिष्ठानो उत्सव थयो. पालेजना जिनमंदिरमां गुरुदेवे