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मुंबईनगरीमां १०–१प हजार माणसोनी सभामां परम सत्यनी घोषणा करीने
सिद्धिधामनी यात्रा माटे प्रस्थान कर्युं. अहा, अवनवा तीर्थोनी अपूर्व यात्रा! गुरुदेव
ज्यां ज्यां जाय त्यां एवा स्वागत थता के त्यांनी जनता आश्चर्यथी बोली ऊठती के
अमारी नगरीमां आवुं स्वागत कदी जोयुं नथी. यात्रानुं संपूर्ण वर्णन तो ‘मंगल
तीर्थयात्रा’ पुस्तकमां छपायेलुं छे, जे वांचतां मुमुक्षुओने ए यात्रानो खरो चितार
ख्यालमां आवे छे. आ यात्रामां प०० उपरांत यात्रिको (८ मोटरबसो ने ३० जेटली
मोटरो) सहित गुरुदेवे घणाय तीर्थोनी यात्रा करी.
रावलगांव–ईलोरा, मालेगांव, धूलीआ, बडवानी, पावागीर–उना, खंडवा, सनावद,
सिद्धवरकूट, ईन्दोर, उज्जैन, मक्षी–पार्श्वनाथ, सारंगपुर, ब्यावरा, राघवगढ, सोनकच्छ,
भोपाल, कुराना, नरसिंहगढ, गुना, बजरंगगढ, कोलारस, सेसई, शिवपुरी, झांसी,
थुबोनजी, चंदेरी, देवगढ, बबीना, तालहबेट, ललितपुर सोनकच्छ, ग्वालियर, धोलपुर,
आग्रा, शौरीपुरी–बटेश्वर, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, कानपुर, लखनौ, रत्नपुरी,
अयोध्यापुरी, बनारस (काशी) चंद्रपुरी, सिंहपुरी, डालमीयानगर, आरा, पटना,
राजगृही कुंडलपुर–नालंदा, पावापुरी, गुणावा, गया, सम्मेदशिखरजी, चंपापुरी–
मंदारगिरि, ऋजुवालिकाने तीरे, जमशेदपुर, झरीआ, धनबाद, कलकत्ता, खंडगिरि–
उदयगिरि, चोपारन, डालमीयानगर, बनारस, अल्लाहाबाद, कानपुर, कुरावलि, एटा,
हस्तिनापुर, दिल्ही, सहारनपुर, अल्वर, आमेर, जयपुर, अलीगढ टोंक, अजमेर,
लाडनू ,सुजानगढ, कूचामन, किसनगढ, ब्यावर, शिवगंज, जावाल, आबु, तारंगा,
अमदावाद थईने सोनगढ पधार्या.
कर्युं के: अनंत चोवीसीना तीर्थंकरो अने आचार्योए सत्य दिगंबर जैनधर्मने अर्थात्
मोक्षमार्गने प्रगट करनारो जे संदेश संभळाव्यो ते ज आ कानजीस्वामीनी वाणीमां
आपणा सांभळवामां आवी रह्यो छे. अनेक तीर्थोनी भावभीनी यात्रा करीने वै. वद
छठ्ठे सोनगढ पधार्या त्यारे भव्य स्वागत थयुं ने छ मासथी सूनी पडेली सुवर्णपुरी फरी
झाकझमाळ बनी.