Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: ४४ : आत्मधर्म : वैशाख : २४९प
सोनासन, रामपुरा, फत्तेपुर (जन्मोत्सव), तलोद, रखियाल, दहेगाम, कलोल,
अमदावाद, पोलापुर, शिहोर, भावनगर, घोघा थईने सोनगढ पधार्या.
गुरुदेव ज्यां जतां त्यां हजारो माणसो उत्सुकताथी संघने नीहाळता. लोको
गुजराती तो शुं, हिन्दीभाषा पण न समजे छतां प्रवचनमां हजारो माणसो आवता ने
गुरुदेवनो प्रभाव देखीने प्रसन्न थता. (कानडी–तामिल वगेरे भाषामां प्रवचननो
थोडोघणो अनुवाद पण संभळाववामां आवतो) रोजरोज नवानवा तीर्थो ने नवा
नवा मंदिरोनां दर्शन करतां आनंद थतो. बंने यात्राओथी गुरुदेवने अने साथेना
यात्रिकोने पण तीर्थोनुं अने तीर्थमां जागेली उत्तम भावनाओनुं मधुर संभारणुं
जीवनमां मळ्‌युं. तेमां पण बाहुबली भगवानना दर्शनवखते जागेली अद्भुत
भावनाओ तो यात्रा पछी पण घणीवार गुरुदेव याद करे छे; पोन्नूरने पण घणीवार
याद करे छे. फत्तेपुरमां गुरुदेवनो ७० मो जन्मोत्सव अतीव उत्साहथी सौराष्ट्र–
गुजरातनी जनताए उजव्यो. भारतना महान तीर्थोनी आवी उल्लासभरी मंगलयात्रा
थई ते बदल परमपूज्य गुरुदेवनो आपणो उपर महान उपकार छे. संसारथी तरवा
माटेनुं तीर्थ तेओ ज आपणने दर्शावी रह्या छे. सम्यक् तीर्थनी अपूर्व यात्रा करावीने
सिद्धिधाम तरफ लई जनार गुरुदेवना चरणोमां भक्तोनुं हृदय भक्तिथी नमी जाय छे.
गुरुदेवनो प्रभाव हवे मध्य भारतमां पहोंची गयेलो; ज्यारे गुरुदेव खैरागढ
पधार्या त्यारे त्यांना नूतन दि. जिनमंदिरमां वेदीप्रतिष्ठानो महोत्सव थयो ने बे
कुमारीका बहेनोए ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लीधी. पहेलां अहीं दि. जैनोनुं एक पण घर न होवा
छतां नवुं दि. जैनमंदिर थयुं, ने वेदीप्रतिष्ठा–महोत्सव पण थयो.


मुंबईमां उजवायेल हीरकजयंती महोत्सव तेम ज
पंचकल्याणक प्रतिष्ठामहोत्सव, अने त्यारपछीनां रत्नचिंतामणि
जयंती सुधीमां बनेला महत्वना प्रसंगोनो परिचय आप हवे
पछीना आवता अंकमां वांचशोजी. (ब्र ह. जैन)