Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: प२ : आत्मधर्म : वैशाख : २४९प
जिनालय जोयुं. मुंबईनगरीमां आवतांवेंत झवेरीबजार जिनमंदिरमां भक्तिथी
सीमंधरनाथना दर्शन कर्या. अने पछी देशभरमांथी आवेला हजारो भक्तजनो सहित
मुंबईना जैनसमाजे घणा उमंगथी गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं. धन्य बनी आजे मुंबई
नगरी.....ने धन्य बन्या अमे सौ भक्तो......के पंचकल्याणकनां पावन द्रश्यो जोईशुं....
ने गुरुदेवनो महोत्सव अनेरा उल्लासथी उजवीशुं.
प्रतिष्ठा माटेनो मंडप ‘महावीरनगर’ मां (आझादमेदानमां) पचासेक फूट
ऊंचा सुशोभित प्रवेशद्वार वडे जिज्ञासुओने आकर्षी रह्यो हतो. जेना शिखर पर २४
जिनेन्द्र भगवंतोनी हारमाळा प्रवेशक उपर जाणे आशीर्वाद वरसावती हती. प्रवचननी
व्यासपीठ पण एवी ज नयनरम्य हती.....ने तेना परथी गुरुवाणीनी गर्जना
मोहनगरीना मोहने ढीलोढफ करी नांखती हती. हजारो माणसो मुग्ध बनीने तेनुं
श्रवण करता. सवारे समयसारना कर्ताकर्म अधिकार उपर प्रवचन द्वारा गुरुदेव
परभावोथी ज्ञाननी अत्यंत भिन्नता समजावीने भेदज्ञान करावता हता, अने मुंबईना
उकळाट वच्चे शांत अध्यात्मरसनो दरियो उल्लसावीने श्रोताजनोने चैतन्यनी ठंडक
आपता हता. बपोरे ऋषभजिनस्तोत्र द्वारा भगवान ऋषभदेवना जन्मथी केवळज्ञान
सुधीनुं अद्भुत भावभीनुं वर्णन करीने भक्तिरसनी वीतरागी गंगा वहेवडावता हता.
पांच दिवसनी अद्भुत रेलमछेल मुंबईना हजारो जिज्ञासुओने आकर्षी रही, ने वैशाख
सुद एकम आवी पहोंची....जिनेन्द्र भगवानना पंचकल्याणक महोत्सवनो मंगल प्रारंभ
आजथी थयो. सवारमां मंगल मूरत तरीके नांदीविधान (मंगल कुंभ स्थापन) शेठश्री
रमणीकलाल जेठालालना धर्मपत्नी सौ० प्रभावतीबेनना हस्ते थयुं. त्यारबाद
प्रतिष्ठामंडपमां जिनेन्द्र भगवाननी पधरामणी थई अने भाईश्री हीरालाल
भीखालाल शाह (दहेगामवाळा) ना हस्ते जैन झंडारोपण थयुं. मुंबईना आंगणे
जिनेन्द्रभगवानना पंचकल्याणक महोत्सवनो प्रारंभ थतो देखीने हजारो भक्तोनां हैडां
हर्षथी नाची उठ्या. गुरुदेवना प्रवचन पछी ईंद्रप्रतिष्ठा थई. प्रथम उत्सव माटे
गुरुदेवना मंगल आशीष लईने १२ ईन्द्र–ईन्द्राणी कुबेर तेमज मातापितानी स्थापना
थई. पंचकल्याणक द्रश्यो महावीर भगवानना थया हता; सिद्धार्थपिता अने
त्रिशलामाता तरीकेनी स्थापनानुं सौभाग्य भाईश्री रमणीकलाल जेठालाल शेठ तथा
सौ० प्रभावती बेनने प्राप्त थयुं हतुं. सौधर्मेन्द्र तरीके शेठश्री पोपटलाल मोहनलाल
वोराना सुपुत्र हसमुखभाई, ऐशनेन्द्र तरीके शेठश्री पूरणचंदजी गोदिका
(जयपुरवाळा) हता. ईन्द्रोनी प्रतिष्ठा बाद जिनेन्द्र भगवाननी पूजा माटे ईन्द्रोनी
सवारी धामधूमथी चाली, ने मंडपमां आवीने पंचपरमेष्ठी भगवंतोनुं पूजन कर्युं.
उत्सवनी अनेक विध तैयारीओथी महावीरनगरनो मंडप धमधमतो हतो त्यां तो
गुरुदेवनो रत्न चिंतामणिजन्मोत्सव जोवा माटे वैशाख सुद बीज आवी.....ने कुंदकुंद
प्रभुना आशीष लावी....साथे सीमंधरनाथनो सन्देश पण लावी.