Atmadharma magazine - Ank 307
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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* श्री कहान–रत्नचिंतामणि–जयंतिमहोत्सव विशेषांक *
: वैशाख : २४९प आत्मधर्म : प३ :
मुंबई नगरीमां उजवायेल रत्नचिंतामणि–महोत्सव
धन्य बनी आ मुंबई नगरी, ने धन्य बन्या भक्तो....वैशाख सुद बीजे
गुरुदेवनी ८० मी जन्मजयंतिनो उत्सव आनंद उल्लास पूर्वक रत्नचिंतामणि महोत्सव
तरीके उजवायो. वहेली सवारमां गुरुदेवना जन्मनी मंगलवधाई लईने अनेक भक्तो
आव्या ने रत्नोथी गुरुदेवने वधाव्या. प्रसन्नचिते गुरुदेव सौथी पहेलां वहाला
सीमंधरनाथना आशीष लेवा जिनमंदिरे पधार्या.....ए वखते शुभ शुकनरूपे
जन्ममंगलनी वधाई गाती गाती प्रभातफेरी सामे मळी. जिनमंदिरे जईने गुरुदेवे
सीमंधरनाथना दर्शन कर्या, अर्घथी पूजन कर्युं, अने रत्नोथी प्रभुचरणने वधाव्या.
गुरुदेव साथे प्रभुदर्शन करतां आह्लाद थयो. त्यारबाद महावीरनगर
(आझादमेदानना) मंडपमां गुरुदेव पधार्या. आजे मंडपनी शोभा अद्भुत हती. ज्यारे
मुंबई नगरी ऊंघती हती ने रस्ताओ सूमसान हता त्यारे आझादमेदान जन्मवधाईथी
गाजतुं हतुं, ने ते तरफना रस्ता मुमुक्षु भक्तोथी भरेला हता. मंडप चारेबाजु
झगझगाट फेलावतो हतो, मंडपना प्रवेश द्वार उपर २४ भगवंतो जाणे के एकसाथे
पधारीने आशीर्वाद वरसावता होय तेम हारमाळा शोभती हती. जेवा प्रवेशद्वारमां
गुरुदेव पधार्या के तरत हाथीए सातवार सूंढ ऊंचीकरीने चंदनमाळाथी गुरुदेवनुं
स्वागत कर्युं. शहनाई वगेरे वाजिंत्रो गाजी ऊठ्या, हजारो भक्तोना जयजयनादथी
मंडप भराई गयो. गुरुदेव सुशोभित पादपीठ उपर आवीने बिराज्या ने स्तुति–मंगल
पूर्वक सौए जन्मोत्सवनो उमंग व्यक्त कर्यो. मुंबईनो दरियो पण जाणे आ ‘रत्नाकर’
नां गुणगान करतो होय तेम धीराधीरा मधुर नादे गाजतो हतो; ने पोताना किनारे ज
बिराजमान संतना चरणनो जाणे अभिषेक