Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 12 of 80

background image
: १० : आत्मधर्म : जेठ : २४९प
आव्या हता; एटलुं ज नहि, आ मंदिर बांधनार कोन्ट्राकटर भाईश्री अगरसिंहजी
दरबारे भक्तिपूर्वक रूा. प०००) –नी उछामणी लईने मंदिर उपर कळश चडाव्यो हतो.
बी. ए. भणेला एक कुमारिकाबहेने आ प्रसंगे ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लीधी हती.
जामनगरना प्रतिष्ठामहोत्सव पछी गुरुदेव गिरनारनी यात्राए पधार्या.
गुरुदेव साथे यात्रासंघमां १२०० जेटला यात्रिको हता, ने अद्भुत उत्साहपूर्वक यात्रा
थई हती. गुरुदेवे संघसहित गिरनारनी आ त्रीजी यात्रा करी. गुरुदेव साथे फरीफरीने
ए वैराग्यधामो–ए नेम–राजुलनी साधनाना स्थळो, ए मोक्षनांधाम ने संतोनां
रहेठाण जोतां भक्तोने घणो ज आनंद थतो, ने हृदयमां संतोना चैतन्यजीवननी अनेरी
प्रेरणा मळती. अहा, चैतन्यसाधनानुं ए जीवन!! ने ए साधनानी आ भूमि! –
आत्मसाधक संतो साथे एनी यात्रा–ए जीवननो किंमती अवसर छे. सौराष्ट्रनी धरामां
आवुं महानमहिमावंत तीर्थ छे एनुं खरुं गौरव तो गुरुदेव साथेनी यात्रा वखते ज
समजायुं. गिरनारना धाम उपर बेठाबेठा गुरुदेवना मुखथी वैराग्यनी वाणी सांभळता
होईए के कोई अध्यात्मनी चर्चा चालती होय, के कोई टूंकनी टोचे बेठाबेठा
भक्तिपूजन करता होईए–के मौन बेठा होईए, अगर आनंदथी गातां गातां संतो
साथे पर्वत चडता के उतरता होईए–ए बधाय प्रसंगो मुमुक्षुजीवनमां ज्ञान–वैराग्य ने
भक्तिनुं अमीभर्युं सींचन करतां होय छे–खरेखर ए जीवननी सोनेरी घडी छे.
–अने ए सिद्धिधामनी यात्रा पछी तरत बीजे ज महिने सावरकुंडलामां नूतन
दि. जिनमंदिरमां जिनेन्द्रदेवनी वेदीप्रतिष्ठानो भव्य महोत्सव उजवायो. ने पछी गुरुदेव
सोनगढ पधार्या.....
प्रभावना, प्रचार भक्ति ने संतनी छायामां जीवनघडतर
गुरुदेवना साक्षात् समागमनो तो दरवर्षे हजारो जिज्ञासुओ लाभ ले छे, ते
उपरांत साहित्यद्वारा ने टेपरेकोर्डिंग–प्रवचन द्वारा गामोगामना अनेक जिज्ञासुओ
लाभ लईने पोतानी जिज्ञासा पोष छे ने सोनगढ प्रत्ये आकर्षाय छे. दूर दूर ना
जिज्ञासुओनुं आगमन दिनेदिने वधतुं जाय छे.
सोनगढमां स्थिरताना काळ दरमियान नित नवानवा भक्तिना उत्सवप्रसंगो
उजवाता होय छे. गुरुदेव पण एवा प्रसंगोमां उपस्थित रहे छे. कोईवार चोवीस
तीर्थंकर विधान तो कोईवार सहस्रमंडल विधान, कोई वार वीसविहरमान तीर्थंकर