: जेठ : २४९प आत्मधर्म : २७ :
केवळज्ञान अने मोक्ष वखते पण, समवसरणनी अने सम्मेदाचल–मोक्षधामनी
नयनमनोहर रचनाओ देखीने प्रसन्नता थती हती.
अने पछी वैशाख सुद अगियारसे ज्यारे प्रतिष्ठित थयेला जिन भगवंतो दादर
मुकामे जिनालयमां तथा समवसरणमां पधार्या. ने गुरुदेवे भक्तिपूर्वक वेदीप्रतिष्ठा करी
त्यारे प्रभुजीना दर्शनथी हजारो भक्तोने अपार आनंद थयो. गुरुदेव वगेरेनुं पूर्वजीवन
जेनी साथे संकळायेलुं छे एवुं विदेहीनाथनुं समवसरण आ भरतक्षेत्रमां देखीने
आनंदकारी अनेक प्रसंगो ताजां थाय छे. ७प फूट ऊंचुं जिनालय, ने तेना उपर ७प
ईंचनो सोने मढ्यो कळश आकाशमां झगमगी ऊठ्यो.....पवित्र जैनधर्मनो ध्वज
आकाशमां लहरी ऊठ्यो. आ हीरकजयंती वगेरेनो अहेवाल मुंबईनी आकाशवाणीए
प्रसारित कर्यो हतो. मुंबईनगरीनो आ उत्सव अनेरो हतो, जैनधर्मनी केवी
महाप्रभावना गुरुदेव करी रह्या छे ते अहीं देखाई आवतुं हतुं.
मुनिभक्तिनो महोत्सव
दक्षिणदेशनी यात्रा अने मुंबईना महोत्सवो करीने ज्यारे पाछा सोनगढ
आव्या. त्यारे जाणे मुनिवरोना देशमां जईने आव्या होईए एवी ऊर्मि वारंवार
गुरुदेवने वेदाती हती; कुंदकुंदस्वामी आदि मुनिभगवंतो ज्यां विचरेला एवा ए
गुरुधाममां हमणां ज जई आव्या होवाथी ए मुनिदशाने गुरुदेव वारंवार प्रवचनमां
याद करता. तेनो अपार महिमा समजावता. अने साथे साथे ए यात्रानी खुशालीमां
अषाडमासनी अष्टाह्निका दरमियान ६४ ऋद्धिधारी मुनिवरोनी महापूजा पण थई,
तेथी जाणे मुनिभक्तिनो महोत्सव ज चालतो होय एवुं वातावरण हतुं. कुंदकुंदस्वामी
विदेहमां गया ने त्यां तेमना बहुमानमां आठ दिवसनो महोत्सव थयो, तेम अहीं पण
कुंदकुंदस्वामीनी यात्रानी खुशालीमां आठ दिवसनो पूजनमहोत्सव थयो. सोनगढमां
अवारनवार सिद्धचक्रविधान, सहस्र–अष्टोत्तरनाम पूजनविधान, पंचमेरूपूजन विधान
वगेरे विशिष्ट पूजनविधानो थया करे छे; कोई कोईवार ए पूजनविधानमां गुरुदेव पण
भाग ल्ये छे.
‘समयसारनो युग’ अने कुंदकुंदाचार्यदेव साथेनो संबंध
‘समयसार’ ए गुरुदेवना जीवननुं साथी छे...समयसारना रचनार
कुंदकुंदाचार्यदेव साथे एमने विदेहमां सीधो संबंध थयेल होवाथी तेमनुं समयसार पण