एक मासमां लई जाय छे. आ वखते गुरुदेव पण खूबखूब खीले छे, प्रवचनोनी
रमझट अनेरी होय छे; बहारमां वर्षाऋतुनी मधुरी मोसमनी साथे ए आध्यात्मिक
श्रुतवर्षा सौने प्रफुल्लित करती होय छे. अने आवा प्रसन्न वातावरणमां ऊभरो लावे
एवो प्रसंग पू. बेनश्री चंपाबेनना जन्मदिवसनो –ते पण आ श्रावण मासमां ज
आवे छे. ए वखते धर्मना वात्सल्यनी कोई नवीन भरती आवे छे ने अवारनवार
गुरुदेवना श्रीमुखथी एमना अनुभवज्ञाननी, अद्भुत वैराग्यनी तेम ज चार चार
भवना जातिस्मरणनी अने भविष्यना पवित्र पदोनी आनंदकारी वार्ता सांभळी–
सांभळीने भक्तोनुं हृदय उमंगथी उल्लसे छे, ने आवा संतोना दर्शनथी पण पोतानी
धन्यता अनुभवे छे. ते पवित्र दिवसे पू. गुरुदेव बेनश्री–बेनने त्यां जमवा पधारे छे, ने
आखोय दिवस उत्सव जेवुं वातावरण रहे छे. फागण मासमां पू. श्री शान्ताबेनना
जन्मदिवसे पण एवुं ज वातावरण होय छे ने आनंदथी ए दिवसनो उत्सव उजवाय छे.
जिज्ञासुओ पोताने चोथाकाळमां ज वर्तता समजीने आनंदपूर्वक धर्मसाधना करे छे.
खरेखर तो गुरुदेव जेवा संत–धर्मात्माओने लीधे सोनगढमां सदैव धर्मकाळ ज वर्ते छे,
तेथी तो अहींना हवामानमांय वारंवार पडघा संभळाय छे के ‘यह सन्तोंका धाम है’
अहीं पंचमकाळ नहि पण चोथोकाळ छे. देवगुरुना प्रतापे अहीं धर्मनी जाहोजलाली
वर्ते छे. हे मुमुक्षु बंधुओ! तमे आवो रे आवो! चैतन्यनी मुक्तिनो अपूर्व मार्ग प्राप्त
करवा तमे आ धर्मधाममां आवो.
करे छे. अहींना धार्मिकवैभव पासे पोताना घरनो कोई वैभव–विलास एमने याद पण
नथी आवतो. ताजेतरमां शेठश्री नवनीतभाईए तेम ज सागर (मध्य प्रदेश) ना
शेठश्री भगवानदास शोभालालजीए पण बब्बे लाखना खर्चे मकान बंधावेल छे. ने
अवारनवार सोनगढ आवीने लाभ ल्ये छे. सागरवाळा शेठ भगवानदासजीए पोताना
मकानना वास्तुप्रसंगे जिनप्रतिमाजीने पण बिराजमान करीने आनंदथी पूजा–भक्ति
करी हती. दरेक नवा मकानना वास्तु प्रसंगे मंगल तरीके ते मकानमां प्रवचन करतां