Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९प आत्मधर्म : ५३ :
अंक २८२) आजे दिवस पण फागण सुद सातम हतो; (दश वर्ष पहेलां आ ज दिवसे
सम्मेदशिखरजीनी यात्रा करी हती, ने अत्यारे पण तेनी ज जात्रा करवा जई रह्या
हता.) प्रवचन पछी फरी सीमंधरप्रभुना दर्शन करीने बयानाथी प्रस्थान कर्युं.
सम्मेदशिखर–यात्रा करीने सोनगढ तरफ
बयाना पछी फिरोझाबाद, जसवंतनगर, ईटावा, कानपुर, अल्लाहाबाद
(प्रयाग) थईने फागण सुद ११ ना रोज बनारस (काशी) पहोंच्या. चार प्रभुना
जन्मधामनी यात्रा करी, पछी डालमिआनगर थईने सम्मेदशिखर पहोंच्या, ने फागण
सुद पूनमे आनंदपूर्वक ए सिद्धिधामनी यात्रा करी. छेल्ली पारसटूंके गुरुदेवे स्तवन
गवडाव्युं ने ‘सम्मेदशिखरजीकी जय हो....जय हो’ एवा हस्ताक्षर करी आप्या.
त्यारपछी गिरडीह, ऋजुवालिका (बराकर) नदी, ईसरी–आश्रम पावापुर, राजगृही–
विपुलाचल, नालंदा, कुंडलपुर, कोडरमा, झूमरीतलैया, हजारीबाग थईने रांची आव्या.
अहीं ब्र. कोकिलाबेन अने तेमना परिवारे तथा अन्य मुमुक्षुओए विशेष उत्साहथी
लाभ लीधो. फागण वद दसमे रांचीथी प्रस्थान कर्युं, ने धनबाद आसनसोल, चिन्सुरा
थईने कलकत्ता पहोंच्या. कलकत्तामां त्रण दिवस रही धनबाद अने ईसरी बब्बे दिवस
रह्या. थाकने कारणे तबियत जरा अस्वस्थ होवाथी सिद्धि धामनी मधुरी छायामां
(ईसरीमां) विश्राम लीधो. (गया, फत्तेहपुर तथा मैनपुरना कार्यक्रमो रद करवा
पड्या.) ईसरीथी ट्रेईनद्वारा कलकत्ता, त्यांथी विमान द्वारा आग्रा थई फिरोझाबाद
आव्या; शेठश्री छदामीलालजीए उत्साहथी स्वागत कर्युं. त्यारबाद बुलन्दशहेर,
गाझियाबाद अने शहादरा थईने दिल्ही आव्या. लालमंदिरनी बाजुना मंडपमां
प्रवचनो थतां हतां, भव्य रथयात्रा नीकळी हती, तथा समन्तभद्रविधालयमां
विद्यानंदजी महाराज साथे मुलाकात पण थई हती. पछी मथुरा–सिद्धक्षेत्रनी यात्रा
करीने, आग्रामां महावीर–जयंती करी. ने जयपुर पधार्या; थाक अने गरमीना कारणे
अहीं गुरुदेवे चार दिवस आराम लीधो. (–आथी अजमेर, चित्तोड, कुण अने भींडरनो
प्रवास रद करवो पड्यो. कुणगाममां वेदीप्रतिष्ठा थई हती.) जयपुरथी प्लेनद्वारा
उदयपुर आव्या. १२ माईल दूर डबोक गामे एक दिवस आराम कर्यो. चैत्र वद पांचमे
उदेपुरमां प्रवेश कर्यो ने नवा जिनालयमां वेदीप्रतिष्ठानो भव्य उत्सव उजवायो.
राणाप्रतापनी आ रळियामणी नगरी कुदरती सौन्दर्य अने जैनधर्मना प्राचीन गौरवथी
शोभी रही छे. अहीं एक मंदिरमां आरसना सम्मेदशिखरनी मोटी रचना