Atmadharma magazine - Ank 308
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९प आत्मधर्म : ५५ :
मक्षीजीमां मोक्षनो मार्ग
*
गत वैशाख वद ६–७ (ता. ७–८ मे १९६९) ना
बे दिवस दरमियान मक्षीजीमां पार्श्वनाथप्रभुजीनी
प्रतिष्ठानो जे मंगल उत्सव उजवायो, तथा ते
दरमियान समयसार गाथा ७३ उपर पू. श्री कानजी
स्वामीनां प्रवचनो थया, तेनी यादी अहीं आपवामां
आवी छे. ए वखते धोमधखतो ताप अने जंगल, छतां
कहानगुरुना प्रतापे मक्षीजीमां मंगल थई गयुं हतुं.
(ब्र. ह. जैन)
मध्यप्रदेशमां ईंदोरथी ४प माईल दूर मक्षीजी आवेलुं छे; त्यां बे मुख्य
जिनमंदिरो छे. एक जिनमंदिरमां बिराजमान पार्श्वनाथ भगवानने दिगंबर अने
श्वेतांबर बंने समाज पूजे छे; बीजुं मंदिर दिगंबर जैनसमाजनुं छे,–जेनो जिर्णोद्धार
करावीने नवीन कमलवेदी पर भगवान पार्श्वनाथप्रभुनी विशाळ प्रतिमा बिराजमान
करवामां आवी छे, सवापांच फूटना आ भव्य प्रतिमाजीनी प्रतिष्ठा फागण मासमां
रणासण (गुजरात) मां थई हती; त्यारबाद मक्षीजीमां तेनी स्थापना करीने दिगंबर
जैनसमाजना हजारो लोको होंशथी दर्शन–पूजन करता हता. तेनी प्रतिष्ठा संबंधी भव्य
उत्सव वैशाख मासमां उजवायो, ने ए प्रसंगे पू. कानजीस्वामी वैशाख वद पांचमे
सांजे ईंदोरथी मक्षी पधार्या हता. बीजे दिवसे सवारमां मक्षीना पारसनगर–मंडपमां
झंडारोपण मुंबई मुमुक्षु मंडळना प्रमुखश्री रमणीकभाई शेठना हस्ते थयुं. आ उत्सव
प्रसंगे मुंबई, उज्जैन, भोपाल, ईंदोर, गुना, खंडवा वगेरेना अनेक मुमुक्षु भाईओ
उपरांत आसपासना गामोथी हजारो साधर्मीओ आव्या हता. मक्षी गामनी वस्ती
पांचेक हजारनी छे तेमां बहारगामथी बीजा दसहजार जेटला माणसो आवतां धार्मिक
मेळानुं वातावरण सर्जाई गयुं हतुं; खेतरो वच्चे सेंकडो तंबुओथी एक नवी ज
नानकडी नगरी वसी गई हती. आवी नगरीमां समयसारनी ७३ मी गाथा उपर
प्रवचन करतां छ सात हजार श्रोताजनोनी सभामां गुरुदेवे कह्युं के–