: २२ : आत्मधर्म : प्र. अषाड : २४९प
भेदज्ञान–पुष्पमाळा
गुरुदेवने अत्यंत प्रिय एवुं समयसार, अने तेमां पण
विशेष प्रिय एवो कर्ताकर्म अधिकार, तेना प्रवचनोमांथी ८०
प्रश्नोत्तरनी आ भेदज्ञान–पुष्पमाळा रजु करी रह्या छीए.
गतांकमां १३ प्रश्नोत्तर पछी आगळ अहीं रजु थाय छे. (सं.)
(१४) जीवने मोक्षमार्गनी शरूआत क्यारे थाय?
भेदज्ञानवडे पोताना ज्ञानस्वभावने समस्त रागादि परभावोथी जुदो अनुभवे
त्यारे.
(१प) मोक्षमार्गमां कई क्रियानो निषेध छे? ने कई क्रियानो स्वीकार छे?
रागना कर्तृत्वरूप करोतिक्रियानो मोक्षमार्गमां निषेध छे, ने ज्ञानक्रियानो
स्वीकार छे.
(१६) ज्ञानक्रियानो मोक्षमार्गमां निषेध केम नथी?
केमके ज्ञानक्रिया तो द्रव्य–गुण साथे अभेद थाय छे, तेथी तेने छोडी शकाती
नथी. ज्ञानक्रिया तो स्वभावभूत छे.
(१७) क्रोधादिभाव अने ज्ञान,–तेना कर्ता केटला छे?
तेना बे कर्ता छे, एक ज कर्ता नथी.
(१८) बे कर्ता कई रीते छे?
केमके कार्य बे छे माटे कर्ता पण बे छे.
(१९) बे कार्य कया छे?
एक ज्ञानरूप कार्य ने एक क्रोधरूप कार्य–एम बे कार्यो भिन्न–भिन्न छे. अने बे
कार्यो भिन्न होवाथी तेना बे कर्ता पण भिन्न छे.