Atmadharma magazine - Ank 308a
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: २४ : आत्मधर्म : प्र. अषाड : २४९प
(२९) अज्ञानी जीव कोने भिन्न नथी देखतो?
अज्ञानी जीव ज्ञानने अने रागने भिन्न नथी देखतो, तेने एक माने छे.
(३०) संयोगसिद्धसंबंध कोने होय?
संयोगसिद्धसंबंध बे जुदी वस्तुओ वच्चे होय. आत्माने अने क्रोधादिनो
संयोगसंबंध छे.
(३१) स्वभावसिद्धसंबंध (तादात्म्यसिद्धसंबंध) कोने होय?
गुण–गुणी वच्चे (अथवा धर्म अने धर्मी वच्चे) एकतारूप तादात्म्यसिद्धसंबंध
छे; ज्ञान अने आत्माने एकतारूप तादात्म्यपणुं छे, तेमना वच्चे भेद नथी,
जुदाई नथी, संयोग नथी.
(३२) मोक्षनुं कारण शुं छे?
ज्ञान अने रागनुं भेदज्ञान ते मोक्षनुं कारण छे.
(३३) संसार–बंधननुं कारण शुं छे?
ज्ञान अने राग वच्चे कर्ताकर्मबुद्धिरूप अज्ञान ते संसारनुं कारण छे.
(३४) महिमावंत कोण छे?
रागथी भिन्न चैतन्य स्वभावने जाणनारुं ज्ञान महिमावंत छे.
(३प) आत्मा शेमां प्रकाशे छे?
आत्मा पोतानी ज्ञानक्रियामां ज प्रकाशे छे.
(३६) क्रोधादि परभावोमां कोण प्रकाशे छे?
तेमां अज्ञान प्रकाशे छे; अज्ञानथी क्रोधादिनुं कर्तापणुं छे.
(३७) ज्ञान अने राग तेने कर्ताकर्मपणुं छे?
ना.
(३८) राग अने परद्रव्य तेने कर्ताकर्मपणुं छे?
ना.