फरतुं चंद्रनुं एक चक्कर ४८ कलाके पुरुं थाय छे, नहि के २४ कलाके. चंद्र एक
नथी पण बे छे, अने बंने चंद्रो सामसामी दिशामां रहीने जंबुद्वीपने चक्कर
लगावी रह्या छे. एक पूरा चक्करमां तेने लगभग १, २०, ०००, ०००० (एक
अबज उपरांत) माईलनी मुसाफरी थाय छे.
तेमां तेने ऐरवतक्षे५ विदेहक्षे५, लवणसमुद्र वगेरे पण वच्चे आवे, एटले ते
पण आ पृथ्वीनी जेम देखावा जोईए, परंतु अवकाशया५ीओ एवुं कांई
देख्यानो उल्लेख करता नथी. आ बधुं स्पष्टपणे एम सिद्ध करे छे के रोकेटनुं चंद्र
तरफ जवानुं के चंद्रभूमि पर उतरवानुं जे कहेवामां आवे छे ते मा५ कल्पना
अने भ्रम छे भले, रोकेट लाखो माईल दूर जतुं हशे–ए साचुं होय, पण चंद्र
उपर पहोंचवानी वात तो कल्पित प्रचार ज छे. एम तो विद्याधरो विमान द्वारा
सूर्य चंद्रथी पण केटलाय करोडो माईल दूर अने ऊंचे जता हता; एवी ऋद्धिओ
पण हती के अहीं बेठाबेठा हाथ लांबो करीने सूर्य–चंद्रने स्पर्शी शके. सूर्य–चंद्र
अने पृथ्वी वगेरे संबंधमां आधुनिक विज्ञाननी गणतरी भूल भरेली छे. तेओ
कल्पे छे एवी के एवडी ज पृथ्वी नथी, पृथ्वी एनाथी तो घणी–घणी मोटी छे.
भाग उपर ऊतरीने, अमे चंद्र उपर जई आव्या’ एम ते अवकाशया५ीओ
समजी लेशे. छापाओमां अवकाशया५ाने लगता जे फोटा–चि५ो प्रसिद्ध करवामां
आवे छे ते तो कल्पनाथी चितरेला होय छे–एम स्पष्ट देखाय छे. बाकी तो
रशिया ने अमेरिका बंने राष्ट्रो एकबीजाथी पोतानी अधिकता स्थापवा ते
संबंधी मोटी मोटी वातनो प्रचार करता होय छे. जे पृथ्वी पर आपणे रहीए
छीए तेनो रंग केवो देखाय छे ते बाबत पण वैज्ञानिको हजी निर्णय करी शक्या
नथी. दरेक अवकाशया५ीओनुं वर्णन एकबीजाथी जुदा प्रकारनुं होय छे. पृथ्वी
पोतानी धरी उपर फरे छे–एम घणा वैज्ञानिको माने छे, परंतु कोई
अवकाशया५ीए आकाशमांथी पृथ्वीने फरती जोई नथी. (पृथ्वी गोळ छे अने
फरे छे ते मान्यतानो केटलाक मोटा विज्ञानीओ पण अस्वीकार करे छे.)