बेठो. अने तेनी ज उपलब्धिमां रोकाई गयो. केमके जेने पोतानुं माने तेनी ज
उपलब्धिमां रोकाय. ज्ञानी तो जाणे छे के मारे माटे सदा रहेनार एवो मारो शुद्धआत्मा
ज धु्रव छे, ने तेथी ते ज अनुभवमां लेवा योग्य छे. शुद्ध उपयोगरूपे परिणमेलो एवो
मारो धु्रवआत्मा ज मारे अनुभववा योग्य छे, एना सिवायनुं बीजुं बधुं मारामां
असत् छे. संयोगरूपे ते भले हो, पण हुं तेने मारापणे जरा पण अनुभवतो नथी.
आ आत्माने माटे धु्रव नथी. संयोगो तो बधा अधु्रव छे, ने परतःसिद्ध छे. केमके
कर्मोदय वगेरे बाह्य कारणो वडे संयोग आवे छे, ते कांई आत्मा साथे कायम रहेनारा
नथी एटले धु्रव नथी. शुद्ध आत्मा ज धु्रव छे, ने तेथी ते ज उपलब्ध करवा योग्य छे, ते
ज श्रद्धा–ज्ञान–रमणता करवा योग्य छे. अधु्रव एवा अन्य संयोगथी शुं प्रयोजन छे?
जुओ, अहीं संयोगने अधु्रव कहेतां तेमां पाप अने पुण्य बंनेनुं फळ आवी गयुं,
पुण्यनुं फळ पण अधु्रव छे. समवसरणनो संयोग पण आत्माने माटे अधु्रव छे. तेना
आश्रये कल्याण थतुं नथी. पोताना धु्रव आत्माना आश्रये ज कल्याण थाय छे, केमके ते
शुद्ध छे.
एकत्वने लीधे आत्माने शुद्धता छे ने शुद्धता होवाथी धु्रवता छे, धु्रवता होवाथी ते ज
आश्रय करवा योग्य छे. तेना ज आश्रये परम सुखनो अनुभव थाय छे.