Atmadharma magazine - Ank 309
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: द्वि. अषाड : २४९५ आत्मधर्म : ९ :
राजा–राणीए तो बे मुनिओने बोलाव्या,
ने भक्तिथी आहारदान दीधुं.
वांदरो झाड उपर बेठो
बेठो आ बधुं जोतो हतो. ए
देखीने तेने एवी भावना जागी
के जो हुं मनुष्य होत तो, हुं पण
आ राजानी माफक मुनिओनी
सेवा करत. पण अरेरे! हुं तो
पशु छुं... मने एवुं भाग्य
क््यांथी... के हुं मुनिने आहार
दउं!
जुओ, वांदराने पण केवी
ऊंची भावना जागी! वांदरो पण
जीव छे, तेनामां पण आपणा जेवुं ज्ञान छे.
आहारदान पछी ते
मुनिओ वनमां उपदेश देवा बेठा;
राजा–राणी ते उपदेश सांभळता
हता. वांदरो पण त्यां बेठोबेठो
उपदेश सांभळतो हतो... ने बे
हाथ जोडीने मुनिने पगे लागतो
हतो.
वांदराने आम करतो
देखीने राजा बहु खुशी थयो ने
तेने वांदरा उपर वहाल आव्युं.