Atmadharma magazine - Ank 310
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : २४९प आत्मधर्म : २९ :
नीचेना जीवोने ओळखी काढो–
(१) एक जीवना मोढामां अमृत छे, छतां ते दुःखी छे–ते कोण?
(२) एक जीव कदी खाता नथी छतां सदाय सुखे जीवे छे–ते कोण?
(३) एक जीव सम्यग्द्रष्टि छे, पण ते नथी स्वर्गमां, नथी मनुष्यमां, नथी तिर्यंचमां
के नथी नरकमां, –तो ते क्यां हशे?
(४) जंगलमां जेनो जन्म, ने अंजना जेनी माता, ते मोक्षगामी महात्मा कोण?
(प) महावीर भगवानना सौथी मोटा शिष्य–के जे ब्राह्मण हता ने मोक्ष पाम्या ते
कोण?
(६) जिनदीक्षा लेनारा छेल्ला मुगटबंधी राजा, जेणे भद्रबाहुस्वामी पासे दीक्षा
लीधी–ते कोण?
(७) एक जीव वीतराग छे, तेनुं आयुष्य पूरुं थयुं छतां ते मोक्ष न पाम्यो, ते कोण?
(८) एक मनुष्य एवा–के जे कदी खाय नहीं, पीए नही, छतां लाखो वर्ष जीवे–ते
कोण?
(९) एक मनुष्य पासे राती पाई पण नथी छतां जे गरीब नथी, ते कोण?
(१०) कुंदकुंदस्वामी, जंबुस्वामी, अकलंकस्वामी, मरुदेवी, –आमांथी ते भवे मोक्ष पाम्युं
ते कोण?
गतांकमां पूछेला आठ वाक्योनी साची रचना नीचे मुजब छे–
१ भरत अने बाहुबली बंने भाई हता.
२. बावीसमा तीर्थंकर नेमिनाथ गीरनारथी मोक्ष पाम्या.
३. महावीर भगवान पावापुरीथी मोक्ष पाम्या.
४. सोनगढमां ६३ फूट ऊंचो मानस्तंभ छे.
प ‘नमो अरिहंताणं’ ए महामंत्र छे.
६ समयसारशास्त्रमां ४१प गाथाओ छे.
७ आत्मा ज्ञानस्वभावी वस्तु छे.
८ जीवनो मोक्ष वीतरागी रत्नत्रयथी थाय छे.
चारसो उपरांत जिज्ञासुओए आ योजनामां रस लईने
उत्साहपूर्वक जवाबो लखी मोकल्या छे, ते सौने धन्यवाद!