Atmadharma magazine - Ank 312
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : आसो : २४९प
आंखमां तो आंसुनी धार चाली जाय छे ने वैराग्यथी कहे छे: हे पुत्र! आत्माना परम
आनंदमां लीनता करवा माटे तुं जाय छे, तो तारा सुखना पंथमां हुं विघ्न नहि
करुं.....हुं तने नहि रोकुं......मुनि थईने आत्माना परम आनंदने साधवा माटे तारो
आत्मा तैयार थयो छे, तेमां अमारुं अनुमोदन छे. बेटा! तुं आत्माना निर्विकल्प
आनंदरसने पी. अमारे पण ए ज करवा जेवुं छे. –आम माता पुत्रने रजा आपे छे.
अहा! आठ वर्षनो कलैयोकुंवर ज्यारे वैराग्यथी आ रीते माता पासे रजा
मांगतो हशे, ने माता ज्यारे वैराग्यपूर्वक तेने सुखपंथे विचरवानी रजा आपती हशे–
ए प्रसंगनो देखाव केवो हशे!!
पछी ए नानकडो राजकुंवर ज्यारे दीक्षा लईने मुनि थाय, –एक हाथमां नानकडुं
कमंडळ ने बीजा हाथमां मोरपींछी लईने नीकळे,–त्यारे तो अहा! जाणे नानकडा
सिद्धभगवान उपरथी ऊतर्या! वैराग्यनो अबधूत देखाव! आनंदमां लीनता! वाह रे
वैराग्य समाचार
जामनगरना शेठश्री फूलचंदभाई परसोत्तम तंबोली मुंबई मुकामे ता. १३–१०–६९ ना
रोज स्वर्गवास पाम्या छे. छेल्ला दसेक दिवसथी तेमने लकवानी बिमारी थई गयेल.
सोनगढ तरफ आवे त्यारे अवारनवार गुरुदेवना दर्शने पण तेओ आवी जता. तेओ
खूब प्रतिष्ठित ने खानदान हता. तेमना धर्मपत्नी श्री छबलबेन, तथा तेमना पुत्र श्री
धीरुभाई वगेरे पू. गुरुदेव प्रत्ये खूब भक्ति धरावे छे ने अवारनवार सोनगढ रहीने
सत्संगनो लाभ ले छे. स्वर्गस्थ आत्मा वीतरागी देव–गुरु–धर्मनी छायामां आत्महित
पामो ए ज भावना.
लींबडीना भाईश्री हिंमतलाल मोहनलाल भादरवा वदी १२ना रोज हार्टफेईलथी
स्वर्गवास पाम्या छे. छेल्ला दिवस सुधी तेओ जिनमंदिरे गया हता; ने बपोरे जम्या पछी
एकाएक छातीमां दुखावो थतां बे मिनिटमां स्वर्गवास पामी गया. वीतरागी देव–गुरु–
धर्मनी छायामां तेओ आत्महित पामो.
• अमदावादना भाईश्री श्रीपालकुमार (ते हरिलाल एस. दोशीनो पुत्र) छ वर्षनी
बालवयमां ऋषभदेव भगवाननुं नाम लेतां लेतां स्वर्गवास पामी गयेल छे. आ वर्षे
अमदावादमां ऋषभदेव भगवानना मोटा प्रतिमाजीनी प्रतिष्ठा थई त्यारथी ते ऋषभदेव
भगवानने घणीवार याद करतो, ने दर्शन करवा पण जतो. तेनो आत्मा वीतरागी देव–
गुरु–धर्मनी छायामां आत्महित पामो.