Atmadharma magazine - Ank 312
(Year 26 - Vir Nirvana Samvat 2495, A.D. 1969)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 42 of 48

background image
: ४० : आत्मधर्म : आसो : २४९प
भेदज्ञान–पुष्पमाळा
(आगला ८१ प्रश्नोत्तर माटे जुओ आत्मधर्म अंक ३०८–३०९)
(८२) ज्ञानीने ज्ञानमय भावनुं ज कर्तापणुं केम छे?
केमके तेणे पोताना आत्माने ज्ञानमय अनुभव्यो छे, तेथी तेना ज कर्ता छे.
(८३) ज्ञानीने रागादि भावोनुं कर्तापणुं केम नथी?
केमके ज्ञानमय भावमां रागादि परभावो नथी, तेथी तेना कर्ता नथी.
(८४) अज्ञानी केम रागादिनो कर्ता थाय छे.?
केमके ज्ञानमयभाव अने अज्ञानमयभाव वच्चेनी जुदाईनुं तेने भान नथी,
तेथी ते अज्ञानमय भावरूपे पोताने अनुभवे छे, अने तेनो कर्ता थाय छे.
(८प) जीव केवा भावनो कर्ता थाय?
जे जीव पोताने जेवा भावरूपे अनुभवे तेवा भावनो ते कर्ता थाय ज्ञानी
पोताने ज्ञानभावरूपे ज अनुभवता थका ज्ञानभावने ज करे छे; अने अज्ञानी
पोताने अज्ञानभाव (रागादि) रूपे ज अनुभवतो थको अज्ञानभावने ज करे
छे.
(८६) ज्ञानभावने पण करे ने रागने पण करे, एम बंनेने करे तो?
ज्ञान अने राग बंने भावो एकबीजाथी विरोधी छे, एटले ते बंनेनुं कर्तापणुं
एक साथे रही शकतुं नथी.
(८७) भगवान आत्मा केवी वस्तु छे?
शुद्ध उपयोगस्वरूप आत्मा आनंदथी भरेली वस्तु छे, तेमां आनंद भर्यो छे;
पण क्रोधादि भावो तेमां भर्या नथी. आवी आत्मवस्तुना अनुभवमांथी ज्ञान
अने आनंदनी उत्पत्ति थाय छे पण क्रोधादिनी उत्पत्ति थती नथी.
(८८) आत्मा अने शरीर बंनेनी क्रिया एक छे के जुदी?
जुदी छे; आत्मानी क्रिया चेतन छे. शरीरनी क्रिया जड छे.
(८९) ज्ञान अने राग बंनेनी क्रिया एक छे के जुदी?